राडिया टेप कांड की जांच रिपोर्ट चाहते हैं रतन टाटा

टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा चाहते हैं कि कापरेरेट क्षेत्र में संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया और उनके तथा दूसरे व्यक्तियों के बीच टेलीफोन वार्ता के विवादित टेप लीक होने के मामले की जांच रिपोर्ट उन्हें मुहैया करायी जाये।

नई दिल्ली : टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा चाहते हैं कि कापरेरेट क्षेत्र में संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया और उनके तथा दूसरे व्यक्तियों के बीच टेलीफोन वार्ता के विवादित टेप लीक होने के मामले की जांच रिपोर्ट उन्हें मुहैया करायी जाये। इस संबंध में रतन टाटा ने उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी भी दायर की है लेकिन उन्हें इस मसले पर न्यायालय के कई सवालों का सामना करना पड़ा।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने सवाल किया कि वह जांच रिपोर्ट की प्रति की मांग कैसे कर सकते हैं जबकि उन्होंने अपनी याचिका में सिर्फ केन्द्र द्वारा कराई गई टेलीफोन टैपिंग के लीक होने की जांच कराने का ही अनुरोध किया था।
रतन टाटा की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से न्यायाधीशों ने कहा, आप जांच रिपोर्ट के विवरण के लिए अर्जी दायर करके अपने अनुरोध का दायरा बढ़ा रहे हैं। सरकार स्वयं ही जांच करा रही है और वह इसकी रिपोर्ट हमारे सामने पेश करेगी। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी का कहना था कि इस रिपोर्ट के निष्कषरे को जानना जरूरी है क्योंकि उनकी दलीलें इसी पर आधारित होंगी।
उन्होंने कहा, मेरी सारी बहस इसी रिपोर्ट पर आधारित होगी। यह स्पष्ट है कि सरकार द्वारा टैप की गयी बातचीत लीक हुयी है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसके लिए कौन सी एजेन्सी या अधिकारी जिम्मेदार हैं। यह जानना जरूरी है कि भविष्य में इस तरह के लीक रोकने के लिये क्या किया गया है। रोहतगी ने कहा कि टेलीफोन टैपिंग के जरिये रिकार्ड की गयी बातचीत सरकार की संपत्ति थी और इसके लीक होने से उनके निजता के अधिकार का हनन हुआ है।

न्यायाधीशों ने कहा कि इस मामले में सरकार ने पहले ही कार्रवाई कर दी है और यदि इसमें किसी कानून का उल्लंघन हुआ है तो सरकार से इस संबंध में सफाई मांगी जाएगी। रतन टाटा की याचिका पर आज सुनवाई अधूरी रही। इस याचिका पर कल भी बहस होगी।
रतन टाटा ने टेलीफोन टैपिंग के अंश मीडिया में लीक होने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 29 नवंबर, 2010 को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। रतन टाटा का कहना था कि टेलीफोन टैपिंग के अंश लीक होने से संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त उनके निजता के अधिकार का हनन हुआ है। (एजेंसी)

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