'विकास को राजकोषीय मजबूती जरूरी'

सरकार के आय-व्यय के बीच बढते अंतर को सीमित रखने की जरूरत पर बल देते भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने की जरूरत है।

नई दिल्ली : सरकार के आय-व्यय के बीच बढते अंतर को सीमित रखने की जरूरत पर बल देते भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने की जरूरत है।

 

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने यहां कहा, ‘हम आर्थिक वृद्धि के लिए राजकोषीय मजबूती के महत्व को कम नहीं कर सकते। ऐसा नहीं है कि पहले वृद्धि को गति दी जाए फिर राजकोषीय मजबूती के मामले को देखा जाए।’’ सरकार का राजकोषीय घाटा 2011-12 में 4.6 प्रतिशत के बजट अनुमान से उपर जाने की आशंका है। इसका कारण राजस्व प्राप्ति में कमी तथा सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी है।

 

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संकेत दिया है कि 2012-13 के बजट में राजकोषीय घाटे को कम करने के लिये उपायों की घोषणा करेंगे। बजट मार्च में पेश किये जाने की संभावना है। मुद्रास्फीति के मुद्दे का जिक्र करते हुए गोकर्ण ने अंडा, मछली, दूध जैसे प्रोटीनवाले खाद्य वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि की जरूरत को रेखांकित किया। हाल के समय में इन वस्तुओं में दाम में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है।

 

एडलविस इनवेस्टर कांफ्रेन्स में उन्होंने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति का कारण मांग एवं आपूर्ति में अंसुतलन है। प्रोटीन आधारित वस्तुओं की मांग बढ़ी है। हमें प्रोटीन आधारित वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।’ हालांकि हाल के दिनों में खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से नीचे चली गई है जबकि सकल मुद्रास्फीति दिसंबर में 7.5 प्रतिशत रही। मार्च के अंत तक इसके 6 से 7 प्रतिशत पर आने की उम्मीद है।

 

राजकोषीय घाटे के संदर्भ में रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने हाल में सरकार से सार्वजनिक रिण पर सीमा लगाने का अनुरोध किया था ताकि वृद्धि प्रभावित नहीं हो। (एजेंसी)

 

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