सरकार ने सेबी को दिया तलाशी और जब्ती का अधिकार

पूंजी बाजार विनियामक सेबी की शक्तियां बढ़ाते हुए सरकार ने उसे तलाशी और जब्ती के साथ संपत्ति कुर्क करने, नियमों का पालन नहीं करने वालों को हिरासत में लेने तथा निरूद्ध करने का अधिकार दिया है।

नई दिल्ली : पूंजी बाजार विनियामक सेबी की शक्तियां बढ़ाते हुए सरकार ने उसे तलाशी और जब्ती के साथ संपत्ति कुर्क करने, नियमों का पालन नहीं करने वालों को हिरासत में लेने तथा निरूद्ध करने का अधिकार दिया है।
नए अधिकारों से लैस बाजार नियामक अब कानून का उल्लंघन कर गलत तरीके से कमाई गयी पूरी रकम की वसूली का आदेश भी दे सकता है।
इतना ही नहीं सरकार ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को देश तथा देश से बाहर अन्य नियामकों से पूर्व की तारीख से सूचना मांगने की अनुमति भी प्रदान की है। इससे 15 साल से अधिक समय से लंबित मामलों के संदर्भ में विस्तृत ब्योरा हासिल करने का रास्ता साफ हो गया है।
ये संशोधन प्रतिभूति कानून संशोधन अध्यादेश का हिस्सा हैं जिसे पिछले सप्ताह जारी किया गया। पूर्व की तारीख से एक अन्य अहम संशोधन के तहत सेबी व्यक्तिगत तथा कंपनियों के खिलाफ छह साल से अधिक समय से लंबित जांच का निपटान कर सकता है।
सामूहिक निवेश योजनाओं के रूप में पोंजी योजनाओं की बढ़ती समस्या से निपटने के लिये भी नियमों में संशोधन किये गये है। इसके तहत सेबी 100 करोड़ रुपये या अधिक मूल्य के किसी भी धन जुटाने की योजना का नियमन कर सकता है। नियामक को किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा चलाये जाने वाली अवैध निवेश योजनाओं के खिलाफ कदम उठाने का अधिकार दिया गया है।
हालांकि सरकारी अधिसूचित सभी योजनाएं सामूहिक निवेश योजना मसौदे से अलग होंगी। ये बदलाव सेबी के संचालन एवं कामकाज से संबद्ध तीन मुख्य कानून-भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड कानून, प्रतिभूति अनुबंध नियमन कानून (एससीआरए) तथा डिपोजिटरीज कानून में किये गये 22 संशोधनों का हिस्सा हैं।
ये संशोधन 16 पृष्ठ के अध्यादेश के माध्यम से किये गये हैं। अध्यादेश के तहत सेबी को गलत तरीके से कमाई गयी राशि को निकलवाने का आदेश देने का अधिकार भी दिया गया है।
साथ ही नियामक नियमों का अनुपालन नहीं करने वालों के खिलाफ जांच के सिलसिले में घरों, विभिन्न स्थानों, जहाज, वाहनों तथा विमानों में भी जा सकता है। उसके अधिकारी संदिग्ध कंपनियों से सूचना हासिल करने के लिये किसी भी दरवाजे, बक्से आदि के ताले खोल सकता है।
साथ ही नियमों का अनुपालन नहीं करने वाला 20 अप्रैल 2012 की पिछली तिथि से सेबी के समक्ष लंबित मामलों के निपटान का अनुरोध कर सकता है। अध्यादेश में प्रतिभूति कानून के उल्लंघन से जुड़े मामलों के त्वरित सुनवाई के लिये जरूरत पड़ने पर विशेष अदालत गठित करने की भी अनुमति दी गयी है।
सेबी को जुर्माना, निवेशकों को पैसा लौटाने तथा अन्य बकाये संबद्ध निर्देशों का पालन नहीं करने वाले व्यक्तियों तथा कंपनियों की संपत्ति और बैंक खाते कुर्क करने का सीधा अधिकार दिया गया है। नियामक चूककर्ताओं को गिरफ्तार और निरूद्ध करने का भी अधिकार दे सकता है घरेलू तथा विदेशी नियामकों से सूचना हासिल करने का अधिकार छह मार्च 1998 की तारीख से लागू होगा।
देश से बाहर से सूचना हासिल करने के लिये सेबी संबद्ध विदेशी प्राधिकरणों से समझौता या व्यवस्था कर सकता है। इसके लिये उसे केंद्र सरकार से पूर्व में मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
साथ ही नियामक जरूरत पड़ने पर जांच के सिलसिले में किसी भी व्यक्ति, बैंक, प्राधिकरणों, बोर्ड या निगम से जानकारी मांग सकता है। मामलों के निपटान के संदर्भ में अध्यादेश में कहा गया है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ सेबी ने जांच शुरू की है या कर सकता है, वह कथित चूक को लेकर ऐसी कार्रवाई के निपटान के लिये आवेदन दे सकता है।
चूक की प्रकृति, महत्व तथा उसके प्रभाव को देखने के बाद सेबी ऐसे अनुरोध को स्वीकार कर सकता है या फिर उसे खारिज कर सकता है। हालांकि इन मामलों के सेबी के निर्णय के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती। निपटान प्रावधान 20 अप्रैल 2007 से प्रभावी होगा। (एजेंसी)

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