थामस बाक बने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के नए अध्यक्ष

थामस बाक का अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) का अध्यक्ष बनने का सपना आज आखिर में पूरा हो गया। जर्मनी के 59 वर्षीय बाक को आज यहां दुनिया की सर्वोच्च खेल संस्था का अध्यक्ष चुना गया।

ब्यूनस आयर्स : थामस बाक का अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) का अध्यक्ष बनने का सपना आज आखिर में पूरा हो गया। जर्मनी के 59 वर्षीय बाक को आज यहां दुनिया की सर्वोच्च खेल संस्था का अध्यक्ष चुना गया। बाक पहले अध्यक्ष हैं जिन्होंने खिलाड़ी के रूप में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने यहां आईओसी के दूसरे दौर के मतदान में पांच अन्य उम्मीद्वारों को हराया जो जाक रोगे का स्थान लेने के लिये मैदान में उतरे थे। रोगे ने 12 साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
बाक को दूसरे दौर में 49 मत मिले और उन्होंने बहुमत से जीत दर्ज की। केवल प्यूटोरिका के बैंकर रिचर्ड कैरियन ही 29 मत हासिल करके दोहरे अंक में पहुंच पाये। अपने जमाने के दिग्गज एथलीट पोल वाल्ट के बादशाह सर्गेई बुबका को केवल चार मत मिले। हालांकि वह दूसरे दौर के मतदान में जगह बनाने में सफल रहे। ताईवान के वु चिंग कुओ पहले दौर में ही बाहर हो गये थे। बाक ने ओलंपिक 1976 में पश्चिम जर्मनी की टीम की तरफ से तलवारबाजी की फोइल टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। वह शुरू से ही अध्यक्ष बनने के प्रबल दावेदार थे और वर्षों से माना जा रहा था कि वह रोगे का स्थान लेंगे।
उन्होंने दूसरे दौर के मतदान की घोषणा होने के बाद कहा, मैं जानता हूं कि आईओसी अध्यक्ष की बहुत जिम्मेदारियां होती है लेकिन मैं खुश हूं। मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता है। मेरे दोस्तो और साथियों आपने मेरे पर भरोसा दिखाया। मैं अपने साथी उम्मीद्वारों का भी आदर करता हूं और उनके साथ मिलकर काम करूंगा।
रोग ने जब मुहरबंद लिफाफा खोलकर बाक की जीत की घोषणा की तो वह मुस्करा दिये जबकि इस बीच उनका लगभग एक मिनट तक खड़े होकर अभिवादन किया गया। आईओसी की 119 साल के इतिहास में बाक अध्यक्ष पद पर आसीन होने वाले नौवें व्यक्ति हैं। वह आठवें यूरोपीय हैं जो यह पद हासिल करने में सफल रहे। अमेरिका के एवेरी ब्रूंडगे (1952 से 1972 ) को छोड़कर बाकी सभी अध्यक्ष यूरोप के बने। बाक ने कहा, मैं एकता और विविधता के अपने आदर्श वाक्य के अनुरूप आईओसी की अगुवाई करना चाहता हूं। मैं आप सभी का अध्यक्ष बनना चाहता हूं। इसका मतलब होगा कि मैं ओलंपिक अभियान से जुड़े सभी लोगों के विभिन्न हितों के बीच संतुलन बनाये रखने के लिये पूरे प्रयास करूंगा।
तोक्यो को 2020 ओलंपिक की मेजबानी सौंपने और कुश्ती को फिर से खेलों में शामिल करने के बाद आईओसी ने आज बाक का चयन करके तीसरा महत्वपूर्ण फैसला किया। बाक के समर्थकों को पहले दौर में ही जीत का भरोसा था लेकिन दूसरे दौर की जीत भी दिखाती है कि उन्हें काफी लोगों का समर्थन हासिल था। उन्हें केवल कैरियन से ही चुनौती मिली। सिंगापुर के एनजी सेर मियांग को छह, स्विट्जरलैंड के डेनिस ओसवाल्ड को पांच और बुबका को चार मत मिले।
पेशे से वकील बाक 1991 से आईओसी के सदस्य हैं। वह तीन बार उपाध्यक्ष रहे। वह न्यायिक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। बाक आईओसी के उन अधिकारियों में रहे जिन्होंने डोपिंग के खिलाफ जंग लड़ी। उन्होंने ही डोपिंग के दोषी पाये गये खिलाड़ियों पर दो साल के बजाय चार साल का प्रतिबंध लगाने की पहल की। बाक की अध्यक्ष बनने की राह आसान नहीं रही। विशेषकर जर्मनी मीडिया ने अध्यक्ष के रूप में उनकी योग्यता पर सवाल उठाये थे। उनके प्रतिद्वंद्वी ओसवाल्ड ने भी कुवैत के साथ उनके व्यावसायिक संबंधों की आलोचना की थी। हालांकि ओसवाल्ड और अन्य उम्मीद्वार खास प्रभाव नहीं छोड़ पाये। सेर मियांग और वू चिंग कुओ पर एशिया की उम्मीदें टिकी थी। इन दोनों ने खेलों के क्षेत्र में काफी काम किया है लेकिन वे अपने अभियान में मतदाताओं को रिझाने में नाकाम रहे। बुबका को अपनी खेल उपलब्धियों पर भरोसा था। वह उम्मीद्वारों में सबसे कम उम्र के भी थे लेकिन उनका अभियान कभी आगे नहीं बढ़ पाया। (एजेंसी)

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