IOC का फैसला भारतीय कुश्ती के लिए काला दिन: सुशील,योगेश्वर

ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त सहित कुश्ती जगत के कई दिग्गजों ने 2020 ओलम्पिक खेलों के लिए चयनित 25 मुख्य स्पर्धाओं की सूची में कुश्ती का नाम शामिल नहीं किए जाने सम्बंधी अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के फैसले पर हैरानी जताई है।

नई दिल्ली : ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त सहित कुश्ती जगत के कई दिग्गजों ने 2020 ओलम्पिक खेलों के लिए चयनित 25 मुख्य स्पर्धाओं की सूची में कुश्ती का नाम शामिल नहीं किए जाने सम्बंधी अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के फैसले पर हैरानी जताई है। सुशील, जो कि ओलम्पिक में दो पदक जीतने वाले भारत के इकलौते खिलाड़ी हैं, ने कहा कि यह भारतीय कुश्ती के लिए `काला दिन` है। आईओसी का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब भारतीय पहलवान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम कर रहे हैं।
सुशील ने कहा, "यह कुश्ती के लिए बहुत बड़ा झटका है। यह हैरान और अचरज भरा फैसला है। मैं यकीन नहीं कर पा रहा हूं कि आईओसी इतना कड़ा फैसला ले सकता है। आईओसी यह कैसे भूल गया कि कुश्ती सबसे पुराने खेलों में से एक है।" सुशील ने कहा कि लंदन ओलम्पिक में दो पदक जीतने के बावजूद अब भारत में कुश्ती अवसान की ओर अग्रसर होगा।
बकौल सुशील, "यह खेल भारत में तेजी से विकास कर रहा था। इसका भविष्य काफी उज्जवल था। कई युवा खिलाड़ी इस खेल में आगे आ रहे थे लेकिन अब यह खेल भारत में अवसान की ओर अग्रसर होगा।" कुश्ती में भारत ने अब तक कई पदक जीते हैं। लंदन ओलम्पिक में भारत ने कुश्ती में एक रजत और एक कांस्य जीता था। सुशील ने रजत हासिल किया था, जबकि योगेश्वर ने कांस्य जीता था। बीजिंग ओलम्पिक में भारत के लिए सुशील ने एक कांस्य पदक जीता था।
भारत ने कुश्ती में अब तक कुल चार पदक जीते हैं। सुशील के दो और दत्त के एक पदक के अलावा 1952 ओलम्पिक में काशाहाबा दादासाहेब जाधव ने कांस्य जीता था। योगेश्वर ने भी सुशील की बातों से सहमति जताई। योगेश्वर ने कहा कि यह भारत के युवा पहलवानों के लिए बहुत बड़ा झटका है।
योगेश्वर ने कहा, मैं आईओसी के फैसले से हैरान हूं क्योंकि यह खेल 209 देशों में खेला जाता है। यह दर्शकों को भी काफी पसंद है। मैं 2020 ओलम्पिक से कुश्ती को हटाए जाने के पीछे कोई तर्क नहीं देख पा रहा हूं।" 30 साल के योगेश्वर ने कहा कि अब भारत में युवा इस खेल की ओर अपना करियर बनाने के बारे में नहीं सोचेंगे। सुशील और योगेश्वर के कोच यशवीर सिंह ने कहा कि यह भारतीय कुश्ती के लिए काला दिन है, लेकिन वह इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि यह खेल एक बार फिर ओलम्पिक में जगह पाने में सफल रहेगा।
यशवीर ने कहा, "भारतीय कुश्ती के लिए काला दिन है, लेकिन मैं इस बात को लेकर आशान्वित हूं कि यह खेल एक बार फिर ओलम्पिक में जगह पाने में सफल रहेगा। हमने 2020 की तैयारियां कर ली थीं। सरकार भी हमें इस बारे में समर्थन दे रही थी। अब सारी बातों पर सवाल खड़ा हो गया है।" उल्लेखनीय है कि आईओसी की कार्यकारिणी ने मंगलवार को 2020 ओलम्पिक के लिए जिन 25 प्रमुख स्पर्धाओं के नाम जारी किए, उनमें कुश्ती नहीं है।
आईओसी कार्यकारिणी ने 25 मुख्य खेलों के नाम पर सहमति जताई और कहा कि इन्हीं खेलों के नाम 2020 में होने वाले खेलों के लिए सात से 10 सितम्बर तक अर्जेटीना के शहर ब्यूनस आयर्स में होने वाले आईओसी के 125वें वार्षिक सत्र में स्वीकृति की खातिर पेश किए जाएंगे। कुश्ती की जगह कौन सा खेल ओलम्पिक का हिस्सा बनेगा, इसका फैसला मई में होगा। यह खेल हालांकि 2016 में रियो डी जेनेरियो में होने वाले ओलम्पिक खेलों का हिस्सा रहेगा।
ये खेल हैं : एथलेटिक्स, रोइंग, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, कैनोइंग, साइकलिंग, इक्वेस्ट्रीयन, फेंसिंग, फुटबाल, जिमनास्टिक, भारोत्तोलन, हैंडबॉल, हॉकी, जूडो, तैराकी, मार्डन पेंटाथलन, ताइक्वांडो, टेनिस, टेबल टेनिस, निशानेबाजी, तीरंदाजी, ट्रायथलन, नौकायन और वालीबॉल।
कार्यकारिणी ने कहा कि इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएटेड रेशलिंग स्टाइल्स (एफआईएलए) द्वारा संचालित कुश्ती को इन खेलों में मुख्य स्पर्धा के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा। कुश्ती को सात अन्य खेलों-बेसबॉल, कराटे, रोलर स्पोर्ट्स, स्पोर्ट क्लाइंबिंग, स्क्वॉश, वेकबोडिंग और वुशू के साथ उन खेलों की सूची मे रखा गया है, जिन्हें अतिरिक्त खेल के तौर पर 2020 ओलम्पिक में जगह बनाने के लिए जद्दोजहद करनी होगी। आधुनिक ओलम्पिक खेल 1896 में शुरू हुए थे। 1900 के संस्करण में कुश्ती को बाहर कर दिया गया था लेकिन तब से लेकर 2016 के संस्करण तक कुश्ती इन खेलों का हिस्सा रही है। (एजेंसी)

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