नई दिल्ली : स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण का सामना कर रही इंडियन प्रीमियर लीग को मंगलवार को एक और झटका लगा जब सहारा समूह के स्वामित्व वाले पुणे वॉरियर्स इंडिया ने वित्तीय विवाद के बाद इस टी-20 लीग से हटने का फैसला किया। टीम ने बीसीसीआई के उसकी बैंक गारंटी भुनाने के बाद यह फैसला किया।
वर्ष 2010 में 1700 करोड़ रुपये में फ्रेंचाइजी खरीदने वाले सहारा ने कहा कि वह अपने प्रति बीसीसीआई के रवैये से ‘निराश’ है और लीग से दोबारा नहीं जुड़ेगा भले ही उसकी पूरी फ्रेंचाइजी फीस ही क्यों न माफ कर दी जाए। अपनी शुरूआत के बाद से ही विवाद का सामना कर रही इस टी-20 लीग में इस तरह एक नया मोड़ आ गया है।
सहारा समूह ने एक बयान में कहा, ‘अगर पूरी फीस भी माफ कर दी जाए तो भी हम आईपीएल फ्रेंचाइजी नहीं रखेंगे। आईपीएल से हटने का सहारा का फैसला अंतिम है।’
सहारा ने कहा कि वह कई बार याद दिलाने के बावजूद फ्रेंचाइजी फीस में कमी के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने में बीसीसीआई के नाकाम रहने से निराश है।
उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2010 में सहारा ने 94 मैचों के राजस्व आंकड़े के आधार पर आईपीएल फ्रेंचाइजी के लिए 1700 करोड़ की बोली लगाई थी। बीसीसीआई ने चतुराई दिखाते हुए मीडिया में 94 मैचों का आंकड़ा रखा जिससे कि बड़ी राशि मिले। लेकिन हमें सिर्फ 64 मैच मिले।’ सहारा ने दावा किया कि बीसीसीआई ने मध्यस्थता और फ्रेंचाइजी फीस कम करने के उसके आग्रह को लगातार अनसुना किया।
समूह ने कहा, ‘हमने और कोच्चि टीम ने तुरंत विरोध किया और बीसीसीआई से बोली की राशि में उसी अनुपात में कमी करने को कहा जिससे कि व्यावहारिक आईपीएल प्रस्ताव बने। कोई सुनवाई नहीं हुई। हमने भरोसे के साथ इंतजार किया कि ऐसी खेल संस्था में खेल भावना होगी।’
कंपनी ने कहा, ‘हम जून 2011 से लगातार बीसीसीआई से मध्यस्थता का आग्रह करते रहे लेकिन बीसीसीआई की चिंता सिर्फ पैसा था और फ्रेंचाइजी के हित नहीं। इसलिए हम बीसीसीआई के कानों में अपनी आवाज नहीं डाल पाए, हमने फरवरी 2012 में भी हटने की घोषणा की थी।।’
इस मुद्दे पर आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला ने कहा कि बैंक गारंटी भुनाने का फैसला नियमों के अनुसार किया गया।
उन्होंने कहा, ‘हां, वह (पुणे वारियर्स) हट गए हैं। बीसीसीआई के नियमों के अनुसार अगर कोई फ्रेंचाइजी फीस का भुगतान करने में नाकाम रहती है तो हम उसकी बैंक गारंटी भुना लेते हैं। हम हटने के उनके फैसले से काफी दुखी हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए था।’
यह पूछने पर कि क्या सहारा के हटने का भारतीय टीम के प्रायोजन पर भी असर पड़ेगा। शुक्ला ने कहा, ‘इस संबंध में मुझे कोई सूचना नहीं है।’ सहारा के हटने का खिलाड़ियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि अगले सत्र में सभी खिलाड़ियों की खुली नीलामी होगी। सहारा पुणे वारियर्स के सभी खिलाड़ी नीलामी का हिस्सा बनने के लिए स्वतंत्र होंगे।
सहारा समूह ने कहा कि उसने भारतीय क्रिकेट टीम के प्रायोजन से हटने पर भी विचार किया लेकिन खिलाड़ियों के हितों को देखते हुए ऐसा नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट टीम के प्रायोजन से आज से ही हटने की काफी मजबूत धारणा थी लेकिन अगर हम ऐसा करते तो खिलाड़ियों के हितों को नुकसान पहुंचता।’
विज्ञप्ति के अनुसार, ‘हमने बीसीसीआई को जनवरी 2014 से नया प्रायोजन शुरू करने का समय दिया है क्योंकि हम दिसंबर 2013 तक ही राष्ट्रीय टीम का प्रायोजन जारी रखेंगे जो मौजूदा करार समाप्त होने की तारीख है।’
वर्ष 2012 में टूर्नामेंट से हटने और दोबारा जुड़ने के सदंर्भ में समूह ने कहा कि बीसीसीआई ने मध्यस्थता से संबंधित अपना वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘बीसीसीआई ने समाधान के लिए हमसे संपर्क किया और टूर्नामेंट से नहीं हटने का अग्रह किया। मुंबई में बीसीसीआई अध्यक्ष सहित बीसीसीआई के आला अधिकारियों से चर्चा के बाद सहारा और बीसीसीआई ने फरवरी 2012 में संयुक्त बयान जारी किया। संयुक्त बयान में विशेष तौर पर तुरंत मध्यस्थ की नियुक्ति के साथ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने का जिक्र था।’
बयान में कहा गया, ‘सहारा ने पांच अप्रैल 2012 को भारत के सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त करने का सुझाव दिया। बीसीसीआई ने चार महीने तक कोई जवाब नहीं दिया और बार-बार याद दिलाने के बाद नौ जुलाई को सहारा के वकीलों को बीसीसीआई का पत्र मिला जिसमें सहारा के प्रस्तावित नाम को ठुकरा दिया गया लेकिन इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया और किसी वैकल्पिक नाम का भी सुझाव नहीं था।’
कंपनी ने कहा कि बोर्ड ने मध्यस्थता के लिए उसके सुझाए सभी नामों को खारिज कर दिया।
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘सहारा ने इस बीच इस उम्मीद में 170 . 20 करोड़ की वाषिर्क फीस का भुगतान जारी रखा कि इसका जल्द समाधान होगा। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ।’ कंपनी ने दावा किया कि उसके चेयरमैन सुब्रतो राय कई बार बीसीसीआई अध्यक्ष से मिले लेकिन इस मामले का निपटारा नहीं हुआ।
सहारा ने कहा कि वह मौजूदा सत्र की शुरुआत में ही आईपीएल से हटना चाहता था और उसने बीसीसीआई से आग्रह किया था कि बैंक गारंटी को हाथ नहीं लगाया जाए। कंपनी ने कहा, ‘इस बार हमने आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला से कहा कि अगर बीसीसीआई मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता तो हम सौहार्दपूर्ण तरीके से आईपीएल से हटना चाहते हैं। राजीव शुक्ला ने हमारे चेयरमैन को स्पष्ट शब्दों में दोबारा कहा कि बैंक गारंटी पर हाथ नहीं लगाया जाएगा क्योंकि बैंक गारंटी की समाप्ति की तारीख दो मई है।’
सहारा समूह ने दावा किया कि बीसीसीआई ने तुरंत गारंटी का भुगतान नहीं होने पर संबंधित बैंक को अदालत में घसीटने की धमकी दी।
कंपनी ने कहा, ‘हमने फिर भी सौहार्दपूर्ण समझौते के लिए संपर्क किया लेकिन समय पर किसी से फोन पर बात नहीं हो पाई। लेकिन बैंक के लोगों ने हमें बताया कि रात को आठ बजे भी बीसीसीआई के प्रतिनिधि बैंक में मौजूद थे और धमकी दे रहे थे कि अगर बैंक ने आज बीसीसीआई को पैसों का भुगतान नहीं किया तो वह बैंक को काली सूची में डालने के लिए अदालत की शरण में जाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘बीसीसीआई से पूछा जाना चाहिए कि उसने बैंक गारंटी भुनाने के लिए दो मई से 19 मई तक बैंक से संपर्क क्यों नहीं किया। यह बताना महत्वपूर्ण है कि पिछले 13 साल में टीम प्रायोजन सहित किसी भुगतान में सहारा ने देरी नहीं की।’ (एजेंसी)
आईपीएल-6
IPL को एक और झटका, पुणे वॉरियर्स ने नाम लिया वापस
स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण का सामना कर रही इंडियन प्रीमियर लीग को मंगलवार को एक और झटका लगा जब सहारा समूह के स्वामित्व वाले पुणे वॉरियर्स इंडिया ने वित्तीय विवाद के बाद इस टी-20 लीग से हटने का फैसला किया। टीम ने बीसीसीआई के उसकी बैंक गारंटी भुनाने के बाद यह फैसला किया।
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