अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नौकरी के दौरान प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर शोर मचा हुआ है। पिछले दिनों संसद के शीतकालीन सत्र में उच्च सदन राज्यसभा में तो सरकार ने इससे संबंधित विधेयक को पारित करा लिया लेकिन लोकसभा में समाजवादी पार्टी के जबरदस्त विरोध की वजह से इस बिल का पारित नहीं कराया जा सका। इस मुद्दे पर सपा की घोर विरोधी और बसपा की मुखिया बहन मायावती से ज़ी न्यूज़ उत्तर प्रदेश के संपादक वासिंद्र मिश्र ने लाइव इंटरव्यू किया। प्रस्तुत है इस खास इंटरव्यू के प्रमुख अंश-
वासिंद्र मिश्र : देश में बवंडर मचा हुआ है रिजर्वेशन को लेकर। प्रमोशन में रिजर्वेशन के सवाल पर जिस तरह से आपके ऊपर आपके राजनीतिक विरोधी तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं उसके पीछे आप क्या देख रही हैं...आखिर क्या वजह है कि एक बार फिर पूरा देश आरक्षण के सवाल पर आपका विरोधी हो गया है?
मायावती : इस सम्बंध में सबसे पहले आपको ये बताना चाहती हूं कि इसमें एससी एसटी वर्गों के लोगों को प्रमोशन में जो रिजर्वेशन मिल रहा है, यह कोई नई बात नहीं है। सभी वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण 1955 से मिल रहा है। लेकिन बीच बीच में जो लोग नहीं चाहते हैं कि इन वर्गों के लोग अपने पैरों पर खड़े हों तो कुछ अड़चने पैदा कर दी जाती हैं जिसकी वजह से संविधान में इसको लेकर कई बार संशोधन भी हुए हैं और इस श्रृंखला में फिर से संशोधन आया है। सही मायने में इसके लिए केन्द्र में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में जो यूपीए की सरकार चल रही है वही जिम्मेदार है और इस संदर्भ में मैं आपको बताना चाहती हूं कि मैं बार-बार क्यों बोलती हूं कि इसके लिए केंद्र की सरकार जिम्मेदार है। वह इसलिए कि 19-10-2006 में मिस्टर नागराज बनाम भारत सरकार के केस में इस मामले को लेकर जो फैसला आया था माननीय सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने जो फैसला दिया था उसमें तीन शर्तें ऐसी लगा दी थी जिसको लेकर इनका पदोन्नति में जो आरक्षण है वो निष्प्रभावी हो गया। जब ये फैसला 2006 में आया तो उस समय केन्द्र में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए की सरकार चल रही थी और ये ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि केन्द्र की सरकार ने इस केस की सही तरीके से पैरवी नहीं की। जब ये फैसला आया तो कांग्रेस पार्टी की सरकार को इस केस को लेकर रिव्यू में जाना चाहिए था लेकिन सरकार रिव्यू में नहीं गई और 2006 के बाद इसी फैसले को लेकर राजस्थान के मामले में फिर हिमाचल के एक मामले में उसके बाद उत्तरप्रदेश के एक मामले में इस फैसले का प्रयोग करते हुए इन वर्गों के लोगों को पदोन्नति में जो आरक्षण मिलना था उसे निष्प्रभावी कर दिया गया। फिर पूरे देश में निष्प्रभावी हो गया। हमारी पार्टी ने संसद के अंदर और संसद के बाहर इस मुद्दे को लेकर विरोध किया। उससे पहले हमने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री और सभी दलों के नेताओं को चिठ्ठी लिखी। जब हमारी चिठ्ठी पर ध्यान नहीं दिया गया तब हमारी पार्टी को संसद के अंदर और बाहर पिछले सत्र में काफी विरोध करना पड़ा। अब विधेयक तो बन गया लेकिन पास नहीं हो सका है।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन राज्यसभा में यह विधेयक पारित हो गया? आपके विरोध आपके दबाव के चलते, आपकी पार्टी के दबाव के चलते, लेकिन लोकसभा में फिर ये विधेयक लटक रहा है।
मायावती : राज्यसभा में जो विधेयक पास हुआ इसके लिए भी हमारी पार्टी को बड़ा संघर्ष करना पड़ा और जब ये राज्यसभा में पास हो गया तो हम ये सोचकर चल रहे थे कि अब लोकसभा में ये विधेयक पास हो जाएगा, लेकिन आप लोगों ने खुद देखा होगा 19 दिसंबर और 20 दिसंबर को जिस तरीके से लोकसभा में नाटक किया गया उससे खासकर एससी/एसटी वर्गों के लोगों को ये साफ हो गया कि केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार इस विधेयक को पास नहीं करवाना चाहती और मैं क्यों इस बात को कह रही हूं क्योंकि जो 19 दिसंबर को ये विधेयक लोकसभा के अंदर आया और उस समय जब ये संबधित मंत्री इस विधेयक को रख रहे थे तो सपा के एक सांसद ने उस विधेयक की कॉपी छीन ली और उसके बाद बड़ा हंगामा हुआ। जब वो कॉपी छीन ली और फाड़ कर फेंक दी तो उस समय सरकार की ये जिम्मेदारी बनती थी कि वो अपनी इच्छा शक्ति का परिचय देती। सरकार की जिम्मेदारी बनती थी कि वह इस मामले को लेकर तो माननीय स्पीकर से अपनी बात रखते और उनके माध्यम से मार्शल का इस्तेमाल करते। लेकिन केन्द्र की सरकार ने ऐसा नहीं किया जबकि आपको ये मालूम है कि जब महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया था तो उस समय भी समाजवादी पार्टी के लोगों ने विधेयक की कॉपी छीन कर लोकसभा में काफी हंगामा किया था और उसके बाद राज्यसभा में मार्शल का इस्तेमाल किया गया था और विधेयक को पास कराया गया। जब महिला आरक्षण विधेयक में विधेयक की कॉपी फाड़ दी गई और वहां पर मार्शल का इस्तेमाल किया गया तो फिर एससी/एसटी वर्गों का पदोन्नति में जो आरक्षण से सम्बंधित विधेयक के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया।
वासिंद्र मिश्र : आपको लगता है इस पूरे गेम को जिसे आप नाटक कह रही हैं इसमें भाजपा, सपा और जो बाकी गैर बीएसपी दल हैं सब शामिल हैं?
मायावती : भारतीय जनता पार्टी का तो मैं आपको बताना चाह रही हूं कि वह कहती कुछ है और करती कुछ है। राज्यसभा में तो उन्होने विधेयक को समर्थन देकर इस विधेयक को पास करा दिया लेकिन लोकसभा के अंदर जिस तरह की दिलचस्पी उनको लेनी चाहिए थी, नहीं ली। जहां तक समाजवादी पार्टी का सवाल है तो उसके बारे में आप लोगों को ये मालूम है कि वह शुरू से ही इस विधेयक का विरोध कर रही है। सपा को तो सर्वसमाज में केवल अपने समाज यानी यादव समाज का दिखता है। हम कोई यादव समाज के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यादव समाज के सिवा सपा को कुछ नजर नहीं आता। राज्यसभा और लोकसभा के अंदर समाजवादी पार्टी के लोगों ने कहा कि मुस्लिम समाज के हितों को ध्यान में रखकर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए, लेकिन मैं समाजवादी पार्टी के लोगों से पूछना चाहती हूं कि हमारी पार्टी भी इसकी पक्षधर है कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए। केन्द्र सरकार को ये रिपोर्ट लागू करनी चाहिए लेकिन जो सलाह दे रहे हैं केन्द्र की सरकार को पहले समाजवादी पार्टी को अपने गिरेबान में भी झांक कर देखना चाहिए कि वो उत्तर प्रदेश में जो मुस्लिम समाज के लोग हैं उनके हितों के लिए अभी तक क्या कदम उठाए है और इस संदर्भ में मैं बताना चाहती हूं कि यूपी के अंदर मुस्लिम समाज के अंदर जो बैकवर्ड क्लास के लोग है उनको सबसे पहले बैकवर्ड क्लास में शामिल कर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में हमारी पार्टी की सरकार ने 1995 में आरक्षण की सुविधा दी थी। मुलायम सिंह यादव की सरकार ने ये सुविधा नहीं दी थी और इतना ही नहीं आपको ये भी मालूम होना चाहिए कि इस बार विधानसभा का आम चुनाव हुआ। समाजवादी पार्टी ने अपना मैनिफेस्टो जारी किया जिसमें ये लिखा था कि उत्तर प्रदेश के अंदर सभी मुस्लिम समाज के लोगों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में दलित वर्गों की जिस तरह से आबादी के हिसाब से रिजर्वेशन मिला है उसी तरह से मुस्लिस समाज के लोगो को भी आबादी के हिसाब से 18 प्रतिशत रिजर्वेशन मिलेगा। ये उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में कहा लेकिन आज तक उन्होने अपनी बात को लागू नहीं कराया। जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है एससी/एसटी लोगों को जो प्रमोशन में रिजर्वेशन देने की जो बात आई है इसको लेकर जो ये कहते हैं कि पूरे देश में लोग बड़े नाराज हैं तो मैं बताना चाहूंगी कि देश में कोई नाराज नहीं है क्योंकि 1955 से उनको ये आरक्षण की सुविधा मिल रही है।
वासिंद्र मिश्र : आपके ऊपर ये भी आरोप लग रहा है कि इस पूरे आरक्षण की राजनीति में जो सवर्ण लोग थे जो कमजोर थे या गरीब थे और जिनके बारे में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते चिठ्ठी लिखा करती थी प्रधानमंत्री को, उन मुद्दों को आ आप भूल गई हैं। पिछड़े वर्ग के बारे में भी आपकी कोई राय नहीं है।
मायावती : मैं आपको बताना चाहती हूं कि राज्यसभा के अंदर भी इस विधेयक के बारे में मैंने कहा था कि पार्टी सर्वसमाज का हित चाहती है। हमारी पार्टी एससी/एसटी वर्गों का पदोन्नति में आरक्षण के लिए ही लड़ाई नहीं लड़ रही है यदि केन्द्र सरकार बैकवर्ड क्लास के लोगों को भी पदोन्नति में आरक्षण देती है तो पूरे देश के अंदर बीएसपी पहली पार्टी होगी जो उसका स्वागत करेगी। इसके साथ ही हमने ये भी कहा कि जो अपर कास्ट के लोग हैं उनमें जो गरीब लोग हैं, भारतीय संविधान में संशोधन करके आर्थिक आधार पर उनको भी आरक्षण की सुविधा मिलनी चाहिए। इस संदर्भ में हम समय-समय पर केन्द्र सरकार को चिठ्ठी लिखते रहे हैं लेकिन केन्द्र की सरकार ने आज तक इसपर कोई अमल नहीं किया। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की ने तो पिछले कार्यकाल में अपर कास्ट के लोगों की तो सरकारी नौकरियों की भर्ती पर ही रोक लगा दी थी। जब मेरे नेतृत्व में सरकार बनी 2007 में तो मैंने उस रोक को हटा दिया। मेरी हूकूमत में लगभग 30 लाख लोगों को नई नौकरियां मिली। अकेले अपर कास्ट समाज के लोगो को ही नहीं, बैकवर्ड क्लास, एससी/एसटी, अल्पसंख्यकों को भी नौकरी दी। हमने सर्वसमाज के लोगों को बराबर की भागीदारी दी। किसी के साथ अन्याय नहीं किया।
वासिंद्र मिश्र : एक और सबसे अहम सवाल ये है कि जिस तरह से कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही सरकार ने एफडीआई के सवाल पर आपसे एक समझौता किया और आरोप ये है कि आपके साथ उन्होंने वायदा किया था कि आप एफडीआई पर राज्यसभा में उनको समर्थन करेंगे और बदले में वो प्रमोशन में रिजर्वेशन का बिल देंगे।
मायावती : नहीं, इस संदर्भ में मैं आपको बताना चाहती हूं कि एफडीआई के मामले में जब लोकसभा में चर्चा शुरू हुई थी उससे एक दिन पहले मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी और अपनी पार्टी की पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। हमने लोकसभा के अंदर बहिर्गमन किया था और राज्यसभा के अंदर हमने सरकार के पक्ष में वोट दिया था। कारण ये था कि एफडीआई में एक बात से हमारी पार्टी सहमत थी। केंद्र सरकार ने एफडीआई के मामले में ये कहा था कि ये जो एफडीआई की नीति है वो किसी भी स्टेट पर जबरन नहीं थोपी जाएगी। हमने कुछ सुझाव भी रखे थे उन्होंने हमारे सुझाव नहीं माने तो हमने वॉकआउट कर दिया। राज्यसभा में ये मामला आया तो हमें ये लगा कि यदि अगर ये बिल यहां पास नहीं होता है तो तो इसकी आड़ में ये हाउस को चलने नहीं देंगे। ये रोज राजनीति करेंगे और हमारा ये प्रोन्नति में आरक्षण विधेयक पास नहीं हो पाएगा। इसलिए फिर हमने अपने इस विधेयक के हित में एफडीआई पर सरकार के समर्थन में वोट दिया। हम एफडीआई की जो नीति है उससे बिल्कुल सहमत नहीं हैं। एक ही बात से सहमत हैं कि उन्होने किसी भी राज्य सरकार पर जबरन इसे थोपा नहीं है।
वासिंद्र मिश्र : आपको लगता नहीं कि कांग्रेस पार्टी बार-बार वायदा करती है और अपने वायदे से मुकर जाती है। ये पुराना इतिहास रहा है कांग्रेस का?
मायावती : मैं आपको बताना चाहती हूं कि कांग्रेस ही नहीं, कांग्रेस के अलावा जो दूसरी पार्टियां भी हैं भाजपा या अन्य पार्टियां ये कहती कुछ हैं और करती कुछ है। कांग्रेस ने तो आजादी के बाद लंबे अरसे तक केंद्र में भी और सूबे में भी राज किया है तो कांग्रेस इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार है। कांग्रेस पार्टी का कल्चर रहा है शुरू से लेकर अब तक कि वो कहती कुछ है और करती कुछ और है। खासतौर सर्वसमाज में जो गरीब लोग हैं, वीकर सेक्शन के जो लोग हैं उनके मामले में आज तक उन्होंने केवल बड़े-बड़े वायदे किए हैं लेकिन जमीनी हकीकत में वायदों को अमल में नहीं लाया। जब ये अमल में ले आते तो हमें बहुजन समाज पार्टी की नींव नहीं रखनी पड़ती। इसको बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
वासिंद्र मिश्र : बीएसपी की बात हो रही है उसकी स्थापना की बात हो रही है और मान्यवर कांशीराम जी का भी जिक्र किया। हम लोग सुना करते थे जब पार्टी का गठन हो रहा था तब से लेकर कई साल से हम लोग आपको देखते रहे हैं। मान्यवर कहा करते थे और आप भी अपनी जनसभा में कहा करती थीं कि सरकार चाहिए कमजोर सरकार चाहिए तभी बहुजन समाज पार्टी का भला हो सकता है। अब इस समय जो देश में सरकार चल रही है आप भी मानती हैं बहुत कमजोर सरकार है?
मायावती : मैं आपको बता दूं कि जब तक हम लोग सत्ता में नहीं आते हमारे समाज का, सर्वसमाज में जो गरीब लोग हैं उनके हित में ये जरूरी है एक मजबूर सरकार रहे। हमारी जो सोच है जब तक हम लोग सत्ता में नहीं आते, और इस दौरान ये सरकार मजबूत रहेगी तो ये लोगों का ध्यान नहीं रखेगी। कमजोर रहेगी तो डर-डर कर काम करेगी और समाज के कमजोर तबके के लोगों का ध्यान रखेगी।
वासिंद्र मिश्र : और एक ये भी फिलॉसिफी थी जो हम लोग सुना करते थे कि जितनी बार चुनाव होगा उतना ही बहुजन समाज को फायदा होगा, पॉलिटिकल इम्पॉवरमेंट मिलेगा?
मायावती : हां! ये आज भी हमारी सोच है। इस पर आज भी हम कायम हैं।
वासिंद्र मिश्र : इस सरकार से समर्थन वापस क्यों नहीं लेती आप?
मायावती : हमने इस सरकार को जो समर्थन दिया था, ये सोच कर दिया था कि जो देश में साम्प्रदायिक ताकतें है उनको मजबूत न होने दिया जाए। सर्वसमाज में गरीब और उपेक्षित लोगों, किसानों, व्यापारियों और मजदूरों का भला होगा। लेकिन ये सरकार इनके हितों के लिए कोई जरूरी कदम नहीं उठाएगी। अब ये आश्वासन दे रहे हैं कि हम कर रहे हैं। ऐसा करते-करते पूरे चार साल हो जाएंगे। साढ़े तीन साल के करीब तो हो ही रहे हैं। तो अब बचा क्या...डेढ़ साल। अब डेढ़ साल के लिए समर्थन वापस लेकर क्या करेंगे। साढ़े तीन साल झेला है डेढ़ साल और देख लें। कल कांग्रेस को ये कहने का मौका नहीं मिलेगा कि पूरा मौका नहीं दिया।
वासिंद्र मिश्र : इस समय जो देश में परिदृश्य बना हुआ है आपको क्या लग रहा है कि 2013 या 2014 में जब भी चुनाव होता है किस रूप में देख रही हैं? अगले पार्लियामेंट का जो सीन होगा, जो राजनीतिक समीकरण बनेगा उसमें कांग्रेस और भाजपा को आपको लगता है ये लोग दोबारा सत्ता में आने की स्थिति में होंगे?
मायावती : मेरा ऐसा अनुमान है कि किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने वाला नहीं है। जब ऐसी स्थिति होगी तो संभव है स्थिति कुछ और बन जाए। हालात कुछ और बन जाएं। राजनीति में आए दिन बदलाव होते रहते हैं, तब्दीली होती रहती है। अब एडवांस में मैं तो कुछ कह नहीं सकती लेकिन तब्दीली होने की ज्यादा संभावना है।
वासिंद्र मिश्र : सब लोग आपकी तरफ उम्मीद लगाकर देखते हैं न्यूक्लियर डील के समय आपने एक सख्त स्टैंड लिया था। और उस समय लग रहा था कि एक मजबूत अल्टरनेटिव आपके नेतृत्व में बनेगा देश मे?
मायावती : जो आप सोच रहे हैं वह लोगों की सोच थी। लेकिन जब कांग्रेस और भाजपा एंड कंपनी के लोगों को लगा कि एक दलित की बेटी आगे आ रही है, कहीं ये देश की प्रधानमंत्री ना बन जाए तो भाजपा एंड कंपनी के लोगों ने अपने कुछ लोगों को अंदर-अंदर समझा-बुझाकर उनके समर्थन में वोट डलवा दिया। इस तरीके के हालात बना दिए गए ताकि यूपीए की सरकार बच जाए।
वासिंद्र मिश्र : इस समय देश में कानून व्यवस्था को लेकर खासतौर पर महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर काफी डर बना हुआ है। आम जनता में महिलाओं में उत्तर प्रदेश की स्थिति भयावह बनी हुई है। आपका क्या मानना है?
मायावती : देश में जो महिलाओं की हालत है वो बहुत ज्यादा खराब है और दिल्ली देश की राजधानी है। यहां तो आए दिन महिलाओं का उत्पीड़न होता रहता है। केंद्र सरकार को सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए और उसको इम्प्लीमेंट भी किया जाना चाहिए। कानून व्यवस्था की खराब स्थिति पूरे देश में है और सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में। अभी आप देखेंगे लगभग एक साल होने वाला है यूपी में सपा की सरकार का। इस दौरान उत्तर प्रदेश के अंदर एक दर्जन से ज्यादा साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं और कोई ऐसा दिन नहीं आता उत्तर प्रदेश में 75 जिलों के अंदर लोगो की हत्याएं नहीं होती हों, लूटखसोट और चोरी डकैती नहीं होती हो, किडनैपिंग, गुंडागर्दी माफियागर्दी बड़े पैमाने पर हो रही है और छांट-छांट कर जो शिड्यूल कास्ट में दलितों का खासकर सर्वसमाज में से दलितों का उत्पीड़न बैकवर्ड क्लास में जो मोस्ट बैकवर्ड क्लास हैं उनका उत्पीड़न, मुस्लिम समाज से जो गरीब लोग हैं उनका उत्पीड़न, अपर कास्ट समाज में से गरीब असहाय हैं उनका उत्पीड़न हो रहा है। उत्तर प्रदेश में हर मामले में सरकार फेल हो चुकी है। दो-तीन दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का बयान आया कि दिल्ली में गैंगरेप की पीड़ित लड़की के इलाज के लिए वह पैसा देगी, लेकिन ऐसा कहने से पहले उसे अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है। उत्तर प्रदेश में रोजाना हर किस्म का अन्याय अत्याचार होता है। उसमें जो महिलाओं के ऊपर बड़े पैमाने पर अन्याय अत्याचार हो रहा है और 90 प्रतिशत महिलाओं पर जो अन्याय अत्याचार हो रहा है उनकी एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती। जिस दिन मुख्यमंत्री ने ये बयान दिया उसके अगले दिन ही बुलंदशहर जिले के अंदर डिस्ट्रीक्ट हॉस्पिटल से एक विकलांग लड़की का इलाज करने से डॉक्टरों ने मना कर दिया। इसलिए मेरा कहना है कि पहले अपने गिरेबान में भी झांक कर देखें कि उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है।
वासिंद्र मिश्र : आखिर वजह क्या है कि वही पुलिस मशीनरी, वही सरकारी कर्मचारी, आपके टाइम में ज्यादा अच्छा काम हो रहा था?
मायावती : नहीं नहीं, वो वजह देखो। जिस पार्टी के अंदर गुंडे, बदमाश, माफिया लोगों का दबदबा हो तो ऐसी पार्टी की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर कभी भी कामयाब नहीं हो सकता। उत्तर प्रदेश की जो सरकारी मशीनरी है वो चाहती है कि लॉ एंड ऑर्डर बढ़िया हो लेकिन जिस पार्टी की सरकार है वो तो लॉ एंड ऑर्डर चाहती ही नहीं, वो तो गुंडो, बदमाशों और माफिया का राज चाहती है तो फिर अधिकारी क्या करेंगे।