आलोक कुमार राव
अंग्रेजी शब्द हनी का हिंदी में अर्थ होता है शहद। शहद लोगों को ताकत, ताजगी देने के साथ-साथ बीमारियों से दूर रखता है। कुल मिलाकर लोगों की सेहत बनाए रखने में ‘हनी’ बहुपयोगी है और उम्मीद की जाती है कि हनी नाम जिस किसी चीज से जुड़ा होगा वह समाज के लिए फायदेमंद होगा। लेकिन पंजाब के रैप गायक हनी सिंह को देखें तो वह अपने नाम के उलट साबित हो रहे हैं।
हनी सिंह अपने गीतों को लेकर चर्चा में हैं। हनी के गानों को लेकर सोशल नेटवर्किंग साइटों और मीडिया में बहस जारी है कि हनी के गाए गीत समाज में अश्लीलता एवं कामुकता फैला रहे हैं। किशोरों एवं युवाओं पर उन गीतों का गलत असर पड़ रहा है। हनी के गीतों को सुनकर युवा हिंसक और सांस्कृतिक मर्यादाओं को लांघ रहे हैं। इसलिए अश्लीललता परोसने वाले इन गीतों पर रोक लगनी चाहिए। यही नहीं, लखनऊ में हनी सिंह के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करा दी गई है।
हनी के जिन गीतों पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लग रहा है, वे हाल के गीत नहीं है, बल्कि वे गीत हमारे समाज में पिछले करीब तीन सालों से सुने जा रहे हैं। फिर ऐसा क्या हो गया कि हनी के गानों में अचानक अश्लीललता और कामुकता दिखाई देने लगी। हनी के गाने यदि इतने ही खराब हैं तो उन पर तभी रोक लगनी चाहिए थी अथवा उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन तभी शुरू हो जाने चाहिए थे जब वे बजने शुरू हुए थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हनी के गीतों को बजाने की छूट मिलती रही औऱ उन गीतों ने खासकर टीनेजर्स एवं युवा वर्ग में अपनी एक खास जगह बना ली।
आज दिल्ली गैंगरेप के खिलाफ पूरा देश जहां एकजुट होकर जगह-जगह रैलियां, विरोध-प्रदर्शन और जुलूस निकाल रहा है, महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए सख्त कानून की मांग की जा रही है। ऐसे में विरोध की इस कड़ी में हनी को शामिल कर लेना महज एक इत्तेफाक है या दिखावा, इसपर हमें विचार जरूर करना चाहिए।
गानों में अश्लीललता की अगर बात करें तो आज किसी भी भाषा का गीत इससे अछूता नहीं है। भोजपुरी से लेकर मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलगु और हिंदी के गानों में कम या अधिक मात्रा में अश्लीलता और फूहड़ता के तत्व विद्यमान हैं। कहने वाले कहते हैं कि किसी भी चीज को एक सीमा तक ही बर्दाश्त किया जाता है। गलत चीज अगर दाल में नमक की तरह हो तो उसे नजरअंदाज किया जा सकता है लेकिन पूरी दाल ही जहर हो तो उसे कैसे निगला जाए। कला में तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात आ जाती है, इसमें चश्मा बदलने के साथ अच्छी चीज बुरी और बुरी चीज अच्छी दिखाई देने लगती है। लेकिन हर जगह एक मर्यादा काम करती है। मर्यादा से बाहर जाने पर चीजें असहज और असह्य हो जाती हैं।
आज आवाज उठने लगी है कि रैपर हनी सिंह के गीतों से मर्यादा का उल्लंघन हुआ है। हनी ने अपने गीतों में उन शब्दों का इस्तेमाल किया है जिसकी अभिव्यक्ति की आजादी समाज नहीं देता। गीतों में इस्तेमाल उन शब्दों का व्यवहार हम घर-परिवार या सामाजिक दायरे में खुले तौर पर नहीं करते। लेकिन हनी को हनी आज किसने बनाया, इस पर हमें विचार करने की जरूरत है। हनी को इतनी छूट कैसे मिलती गई कि वह एक के बाद एक फूहड़, कामोत्तेजक शब्दों को पिरोकर लोकप्रियता के पायदान चढ़ता गया। क्या यह सही नहीं है कि शादी-समारोहों एवं पार्टियों में हनी सिंह के गाने बज रहे हैं। बैचलर्स पार्टियों में उसके गानों की खास मांग होती है। क्या हनी जैसे गायकों को आगे बढ़ाने में हम लोगों की भूमिका नहीं है। इस बारे में यदि हम सोचें तो निश्चित ही हम भी अपने को कठघरे में पाएंगे।
यह जरूरी है कि हनी ने अपने गीतों के जरिए आज जिस अश्लीलता, हिंसा और कामुकता को सामाजिक स्वीकृति दिलाने की कोशिश की है, उस पर विराम लगाया जाए। गंदी चीजों को नजरअंदाज करने पर वे धीरे-धीरे जगह बनाने लगती हैं जैसा कि हनी के मामले में हुआ है। हनी के गानों को लेकर जिस तरीके से आज विरोध हो रहा है, ऐसा विरोध अगर शुरू में हुआ होता तो उसे अपनी गायकी का अंदाज बदलना पड़ता और उसे संदेश मिला होता कि समाज में उसके इन गानों के लिए जगह नहीं है। कहने का मतलब यह कि गलत को गलत कहने की हिम्मत हमें शुरू में ही डाल लेनी चाहिए। यही देश, समाज और परिवार के हित में है।
हनी सिंह
‘हनी’ में ये कैसी फूहड़ता
अंग्रेजी शब्द हनी का हिंदी में अर्थ होता है शहद। शहद लोगों को ताकत, ताजगी देने के साथ-साथ बीमारियों से दूर रखता है। कुल मिलाकर लोगों की सेहत बनाए रखने में ‘हनी’ बहुपयोगी है और उम्मीद की जाती है कि हनी नाम जिस किसी चीज से जुड़ा होगा वह समाज के लिए फायदेमंद होगा। लेकिन पंजाब के रैप गायक हनी सिंह को देखें तो वह अपने नाम के उलट साबित हो रहे हैं।
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