तालिबान अफगान सरकार और अमेरिका से दोहा में करेगा वार्ता

आतंकवादी संगठन तालिबान ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में अफगान सरकार से शांतिवार्ता और अमेरिका के साथ अलग से बातचीत करने के वास्ते आज दोहा में अपना राजनीतिक कार्यालय खोल दिया।

वाशिंगटन : आतंकवादी संगठन तालिबान ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में अफगान सरकार से शांतिवार्ता और अमेरिका के साथ अलग से बातचीत करने के वास्ते आज दोहा में अपना राजनीतिक कार्यालय खोल दिया। तालिबान का यह कदम अफगानिस्तान में 12 वर्ष के युद्ध के बाद सुलह सफाई प्रक्रिया को प्रोत्साहित कर सकता है।
तालिबान ने कहा कि तालिबान और विश्व के बीच वार्ता प्रक्रिया शुरू करने के लिए कतर की राजधानी दोहा में पॉलिटिकल ब्यूरो ऑफ इस्लामिक इमरात ऑफ अफगानिस्तान खोला गया है। तालिबान ने कहा कि यह कार्यालय उसे विश्व से संबंध बनाने में मदद करेगा, इससे उन्हें अन्य अफगान नागरिकों से मुलाकात करने और संयुक्त राष्ट्र, अन्य एजेंसियों और मीडिया से सम्पर्क करने में मदद मिलेगी। उसने शांतिवार्ता का कोई सीधा उल्लेख नहीं करते हुए कहा, हम एक राजनीतिक और शांतिपूर्ण हल का समर्थन करते हैं जो अफगानिस्तान में कब्जे को समाप्त करे और इस्लामी व्यवस्था और पूरे देश की सुरक्षा की गारंटी दे। ओबामा प्रशासन ने तालिबान की इस घोषणा को देश में शांति हासिल करने के समग्र लक्ष्य में एक ‘महत्वपूर्ण पहला कदम’ करार दिया।
अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखते हुए तालिबान को वार्ता की मेज पर लाने में पाकिस्तान द्वारा निभायी गई रचनात्मक भूमिका की प्रशंसा की। अधिकारियों ने कहा कि गत कई वर्षों के दौरान पाकिस्तान को यह एहसास हुआ है कि पड़ोसी अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता उनके देश के हित में है। अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका की तालिबान के साथ अगले कुछ दिनों में पहली बातचीत हो सकती है। इसके बाद एक वार्ता तालिबान और हाई पीस काउंसिल के बीच हो सकती है।
अफगानिस्तानी राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि उनकी सरकार के दूत कतर जाएंगे ताकि संघर्ष समाप्त करने के लिए एक संभावित समझौते पर तालिबान के साथ वार्ता हो सके। वर्ष 2001 से अमेरिका नीत नाटो सैनिकों और अफगान सरकार से लड़ रहे तालिबान ने गत वर्ष अमेरिकियों के साथ प्रारंभिक सम्पर्क तोड़ लिये थे और वह लंबे समय से अफगानिस्तान से बातचीत करने से इनकार करता रहा है।
गत कई महीनों से कई देश अलग.अलग तालिबानी प्रतिनिधियों से बातचीत करने के साथ ही एक शांति समझौता कराने का प्रयास कर रहे हैं। यह घटनाक्रम वर्ष 2014 में अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की वापसी से पहले हुआ है।
ग्वातेनामो जेल से किसी भी सैनिका का हस्तांतरण नहीं हुआ है। पहले तालिबान ने शांतिवार्ता के लिए इसे एक शर्त के रूप में रखा था। अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि वार्ता का परिणाम यह होना चाहिए कि तालिबान अलकायदा से अपना संबंध समाप्त करने को तैयार हो, हिंसा छोड़े और अफगान का संविधान माने।
अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर संवाददाताओं से कहा, शांति प्रक्रिया की दिशा में आज का दिन एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। अधिकारी दोहा में तालिबान का बयान जारी होने से पहले मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं था। तालिबान ने अपने उस बयान में कहा कि वे अफगान की धरती के इस्तेमाल का विरोध करते हैं जो अन्य देशों को धमकाता है और यह कि वे अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन करते हैं।
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।अधिकारी ने कहा स्वयं अफगानिस्तानियों में विश्वास का स्तर कम होने के चलते वे थोड़ा एहतियात बरत रहे हैं और वे यह अच्छी तरह से जानते हैं कि आग के दिन मुश्किलों से भरे हैं। अधिकारी ने कहा, इस बात की कोई गारंटी नहीं यह जल्दी हो जाएगा। इन वार्ताओं का मूल अमेरिका तालिबान वार्ता होगा, लेकिन इसका मूल तालिबान और अफगानिस्तान के बीच सीधी बातचीत होगी। दोनों तरफ विश्वास का स्तर बेहद कम है, यदि यह उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ती है तो कोई भी यह उम्मीद करेगा कि यह लंबी मुश्किल प्रक्रिया होगी। अधिकारी ने कहा कि यह मुश्किल रास्ते की शुरआत है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, मैं जल्दी परिणाम निकलने की उम्मीद नहीं करूंगा।
अमेरिकी प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने अफगान सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए तालिबान द्वारा दोहा में राजनीतिक कार्यालय खोलने की घोषणा का उल्लेख करते हुए कहा, हम उनका स्वागत करते हैं। वहीं अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान में 30 वर्ष के गृहयुद्ध के बाद वे उम्मीद करते हैं कि यह शांति प्रक्रिया जटिल, लंबी और अव्यवस्थित होगी लेकिन फिर भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, प्रक्रिया का परिणाम यह होना चाहिए कि तालिबान और अन्य आतंकवादी समूह तीन शर्तों को पूरा करें, पहला वे अलकायदा से अपना संबंध समाप्त करें, हिंसा छोड़ें और अफगानिसतान का संविधान स्वीकार करने के साथ ही महिलाओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करे। अमेरिका ने यह स्वीकार किया कि दोहा में तालिबान का कार्यालय खुलना शांति की दिशा में पहला महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अमेरिका ने अफगान सरकार और तालिबान का आह्वान किया कि वे जल्द सीधी वार्ता शुरू करें। अधिकारी ने कहा कि अमेरिका इन महत्वपूर्ण प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा।
अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका के अफगानिस्तान में अलकायदा को परास्त करने और यह सुनिश्चित करने के उसके मूल उद्देश्य में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है कि अफगानिस्तान फिर से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का सुरक्षित पनाहगाह नहीं बने। अधिकारी ने कहा, दोहा में कार्यालय खुलने से शांति प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है, हमारे सैनिक अफगानिस्तान में अफगान सैनिकों के साथ सेवा करते रहेंगे। अधिकारी ने कहा कि हाल के महीनों में पाकिस्तान सरकार तालिबान से यह आग्रह करने में मददगार रही है कि वह आगे आकर शांति प्रक्रिया में शामिल हो।
प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, मेरा मानना है कि पाकिस्तान वास्तव में अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को समर्थन दे रहा था। पूर्व में उसके सहयोग को लेकर संदेह रहा है लेकिन हाल के महीने में हमने देखा है कि एक वास्तव में सहयोग दे रहा है। उसने इस तरह के प्रारूप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने कहा, पाकिस्तानी नेता गत कई वषरें से यह स्पष्ट करते रहे हैं कि अफगानिस्तान में स्थिरता के बिना पाकिस्तान में कोई स्थिरता नहीं होगी। इसलिए वे यह समझ गए कि दोनों देशों की सुरक्षा स्थिति आपस में मजबूती से जुड़ी हुई है। अधिकारी ने कहा, इसलिए (शांति प्रकिया को) उनकी ओर से समर्थन उनका स्वयं का राष्ट्रीय हित ध्यान में रखकर दिया गया है। (एजेंसी)

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