विवादों को ताक पर रखकर संयुक्त विकास को आगे बढ़ाएगा चीन: शी

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पड़ोसी देशों के साथ सीमा संबंधी चीन के दावों की आक्रामक नीति छोड़ने का संकेत देते हुए आज कहा कि देश उन क्षेत्रों में विवादों को ताक पर रखकर संयुक्त विकास को आगे बढ़ाने की नीति का पालन करेगा जिन पर उसके संप्रभुता संबंधी दावे हैं।

बीजिंग : चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पड़ोसी देशों के साथ सीमा संबंधी चीन के दावों की आक्रामक नीति छोड़ने का संकेत देते हुए आज कहा कि देश उन क्षेत्रों में विवादों को ताक पर रखकर संयुक्त विकास को आगे बढ़ाने की नीति का पालन करेगा जिन पर उसके संप्रभुता संबंधी दावे हैं।
सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार शी ने सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की यहां आयोजित उच्च स्तरीय पोलित ब्यूरो की बैठक में कहा, देश उन क्षेत्रों में विवादों को ताक पर रखने और संयुक्त विकास को आगे बढ़ाने की नीति का पालन करेगा जिन पर चीन के संप्रभुता संबंधी दावे हैं। इसके साथ ही वह अन्य देशों के साथ परस्पर लाभकारी और मैत्री सहयोग को भी प्रोत्साहित करेगा तथा समान अभिमुख हितों को विस्तारित करने का प्रयास करेगा। शी की टिप्पणी चीन के उस अति आक्रामक नीति से महत्वपूर्ण रूप से पीछे हटने की प्रतीक है जो वह गत दो वषरें से दक्षिण चीनी समुद्र अपने दावों तथा जापान के साथ द्वीपों पर अपने दावों संबंधी विवाद को लेकर अपना रहा है। उन द्वीपों पर दोनों ही देश अपने दावें करते हैं।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि शी की टिप्पणी चीन के दिवंगत नरमपंथी नेता तेंग शियाओपिंग की तर्ज पर है जिन्होंने माओत्से तुंग से सत्ता संभालने के बाद कथित रूप से भारत और जापान सहित कई देशों को विकास को आगे बढ़ाने के लिए विवादों को ताक पर रखने का सुझाव दिया था। दक्षिण चीन सागर पर चीन के कट्टर रख के चलते उसके कई देशों से संबंध खराब हुए क्योंकि इस विवाद से जुड़े ताईवान के अलावा कई अन्य छोटे देश जैसे फिलीपिन, वियतनाम, मलेशिया और ब्रुनेई अमेरिका की ओर हो गए और उससे हस्तक्षेप का आग्रह किया।
चीनी सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई घुसपैठों का भारत-चीन संबंधों पर नकरात्मक प्रभाव हुआ है। चीन और जापान के संबंध उस समय सबसे खराब हो गए थे जब चीनी समुद्री पोतों ने पूर्वी चीन समुद्र में विवादित द्वीपों पर आक्रामक गश्त की थी। शी का चीन के आक्रामक रख को नरम करने संबंधी बयान तब आया है जब अमेरिकी सीनेट ने दो दिन पहले एक प्रस्ताव पारित करके पूर्वी और दक्षिण चीन समुद्र में विवादों का शांतिपूर्ण हल का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है।
प्रस्ताव में चीन पर ऐसे कदम उठाने का आरोप लगाया गया जिससे तनाव बढ़ा जिसमें विवादित जल सीमा में पोत भेजना और एक नयी सैन्य चौकी स्थापित करना शामिल है। प्रस्ताव का चीन के सरकारी मीडिया ने आलोचना की थी और इस बात पर जोर दिया था कि चीन को क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उसने कहा कि अमेरिका को अपने सहयोगी देशों से आग्रह करना चाहिए कि वे उकसावे की कार्रवाई ना करें।
राष्ट्रपति होने के अलावा कम्युनिस्ट पार्टी और सेना के प्रमुख शी ने कहा कि चीन विवादों का हल करने के लिए शांतिपूर्ण तरीकों और बातचीत का इस्तेमाल करेगा और शांति और स्थिरता की रक्षा करने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि चीन शांतिपूर्ण विकास का पालन करेगा लेकिन किसी भी तरह से अपने वैध अधिकारों और हितों को नहीं छोड़ेगा ना ही अपने मुख्य राष्ट्रीय हितों को ही छोड़ेगा। (एजेंसी)

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