CIA ने अलकायदा के खिलाफ युद्ध में ISI के बंदी गृहों का किया था इस्तेमाल

9/11 आतंकी हमलों के बाद अलकायदा के खिलाफ युद्ध के दौरान सीआईए ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बंदी गृहों का इस्तेमाल शुरूआती हिरासत और पूछताछ के लिए किया था।

न्यूयॉर्क : 9/11 आतंकी हमलों के बाद अलकायदा के खिलाफ युद्ध के दौरान सीआईए ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के बंदी गृहों का इस्तेमाल शुरूआती हिरासत और पूछताछ के लिए किया था।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री अमृत सिंह द्वारा तैयार रिपोर्ट में बताया गया है कि 50 से ज्यादा देशों ने अल कायदा के खिलाफ युद्ध में अमेरिका की सहायता की और सहायता में अपनी जमीं पर सीआईए कैदियों और आतंकी संदिग्धों को हिरासत में लिया जाना, पूछताछ और ‘यातना’ देना शामिल है।
रिपोर्ट में बताया गया कि सीआईए की ओर से हिरासत में लिए गए लोगों को कराची के आईएसआई बंदी गृह में रखा गया जिसका कथित इस्तेमाल शुरूआती पूछताछ के लिए किया गया और बाद में बंदियों को अन्य जेलों को भेजा गया।
बंदी गृह हालांकि आईएसआई के नियंत्रण में है लेकिन ऐसा दावा किया गया कि वहां अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों ने पूछताछ की। ओपेन सोसाइटी जस्टिस इंनिशिएटिव ने आज अपनी रिपोर्ट ‘ ग्लोबेलाइजिंग टार्चर - सीआईए सिक्रेट डिटेंशन एंड एक्स्ट्राऑर्डनरी रेंडिशन’ जारी की।
रिपोर्ट में बताया गया कि अल कायदा के खिलाफ अमेरिकी अभियान में 54 देशों की भागीदारी रही और इसमें 136 लोगों का ब्यौरा दिया गया है जिन्हें सीआईए ने हिरासत में रखा या उन्हें हस्तांतरित किया। रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि उन्हें कब और कहां हिरासत में रखा गया।
सिंह ने कहा कि उन्हें सबूत मिले हैं कि कैदियों को थाइलैंड, रोमानिया, पोलैंड और लिथुआनिया जैसे देशों में रखा गया जबकि डेनमार्क ने सीआईए हवाई अभियानों में सहायता प्रदान की।
रिपोर्ट में गुप्त हिरासत और अभूतपूर्व पेशी अभियानों में रखे गए कई ज्ञात पीड़ितों का ब्यौरा है जिन्हें बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के एक देश से दूसरे देश भेजा गया।
2009 में राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंक रोधी मामलों के लिए ओपेन सोसाइटी इनिशिएटिव में वरिष्ठ कानूनी अधिकारी के तौर पर शामिल होने वाली सिंह ने कहा, ‘‘ इन कार्यवाहियों का नैतिक मूल्य न केवल अमेरिका ने वहन किया बल्कि उन अन्य 54 देशों ने भी वहन किया जिन्होंने उसकी सहायता की।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि विदेशी सरकारें भी अपनी जमीं पर बंदियों को गुप्त हिरासत, अभूतपूर्व पेशी और इन एजेंसियों की पूछताछ से सुरक्षा दिला पाने में नाकाम रहीं।
रिपोर्ट में कहा गया कि ये देश सभी महादेशों में फैले हैं जिनमें अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, अजरबेजान, कनाडा, मिस्र, जर्मनी, ईरान, लीबिया, पाकिस्तान, सउदी अरब, श्रीलंका और ब्रिटेन शामिल हैं। (एजेंसी)

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