आरक्षण बिल पर महिलाएं गोलबंद हों : UNDP

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने राजनीतिक दलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए तथा महिला आरक्षण विधेयक को पास कराने के लिए सभी दलों की महिला नेत्रियों का एक कॉकस बनाने का आह्वान किया।

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने राजनीतिक दलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए तथा महिला आरक्षण विधेयक को एक सामूहिक आवाज बनाने के लिए सभी दलों की महिला नेत्रियों का एक कॉकस बनाने का शुक्रवार को आह्वान किया। यूएनडीपी द्वारा महिलाओं की राजनीति में भागीदारी पर यहां आयोजित एक गोलमेज बैठक में एक प्रमुख सिफारिश में कहा गया कि ठोस कार्रवाई के लिए एक एकीकृत विकास एजेंडे पर महिलाओं की गोलबंदी जरूरी है।
यूएनडीपी की कंट्री निदेशक कैटलिन वाइजेन ने कहा, `ठोस कार्रवाई के लिए- चाहे वह संसद में आरक्षण पर हो या राजनीतिक दलों में- एक एकीकृत विकास एजेंडा जरूरी है।` बैठक में हिस्सा लेने वालों ने आरक्षण विधेयक पारित होने में हो रही देरी के कारणों पर चर्चा की। यह विधेयक 2010 में राज्यसभा में पारित हो चुका है और तभी से लोकसभा में लम्बित है।
सांसदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जमीनी नेताओं के साथ चर्चा में संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव और यूएनडीपी की सहयोगी प्रशासक रेबेका ग्राइस्पैन ने कहा, `भारत में उत्सव मनाने के लिए काफी कुछ है। 33 से 50 प्रतिशत के अनिवार्य आरक्षण के कारण स्थानीय निकायों में 10 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं।` रेबेका ने कहा, `लेकिन संसद में महिलाओं का अनुपात 20 प्रतिशत के वैश्विक अनुपात तथा बीजिंग में तय 30 प्रतिशत के अनुपात से काफी कम 11 प्रतिशत है।`
मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की सुहासिनी अली ने कहा, `देश की महिलाएं पहले से सशक्त हैं। उन्हें सिर्फ एक सुरक्षित राजनीतिक वातावरण की जरूरत है, जो उन्हें उनकी भागीदारी के लिए एक स्तरीय अवसर मुहैया करा सके।` सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी ने लम्बे समय से लटके महिला आरक्षण विधेयक पर तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया। (एजेंसी)

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