उत्तराखंड में उम्मीद की किरण बनी हैम रेडियो

‘मेरी मदद करो’, ‘क्या आप मेरे बुजुर्ग माता-पिता का पता लगा सकते हैं?’ आपदा पीड़ित उत्तराखंड में बिछड़े परिवारों को मिलाने के काम में मदद कर रहे हैम रेडियो संचालकों को ऐसे ही अनेक संदेश मिल रहे हैं।

नई दिल्ली : ‘मेरी मदद करो’, ‘क्या आप मेरे बुजुर्ग माता-पिता का पता लगा सकते हैं?’ आपदा पीड़ित उत्तराखंड में बिछड़े परिवारों को मिलाने के काम में मदद कर रहे हैम रेडियो संचालकों को ऐसे ही अनेक संदेश मिल रहे हैं।
उत्तराखंड में त्रासदी के तुरंत बाद कुछ हैम रेडियो संचालकों को राज्य के प्रभावित इलाकों में भेज दिया गया था और देश भर में तैनात दूसरे संचालक उनकी मदद कर रहे हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भारी बारिश की वजह से दूरसंचार व्यवस्था को भारी क्षति पहुंची थी और वहां जल्द ही यह संचार का एक अहम माध्यम बन गया। इस अव्यवसायी रेडियो में एक विशिष्ठ रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम पर ध्वनि, शब्दों, चित्रों और डाटा संचार प्रणाली के जरिए शहर, देश, दुनिया और यहां तक कि अंतरिक्ष तक में संचार स्थापित किया जा सकता है।
हैदराबाद स्थित ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एमेच्योर रेडियो’ ने रेडियो उपकरणों के साथ अपना एक दल इस पहाड़ी राज्य में भेजा है, जो देहरादून स्थित ‘भारत स्काउट एंड गाइड्स’ के साथ समन्वय बना कर यहां कार्य कर रहा है। देहरादून में जोसे जैकब, वीयू2जेओएस, आपात संचार स्टेशन के तौर पर काम कर रहे हैं।
जैकब ने कहा, ‘हमारे पास उत्तराखंड में लापता लोगों के रिश्तेदारों के ढेरों संदेश आ रहे हैं। हमें कोलकाता, दिल्ली, केरल, राजकोट से प्रतिदिन संदेश मिल रहे हैं। हम लापता लोगों की यह सूची राज्य सचिवालय के पास भेज दे रहे हैं।’ (एजेंसी)

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