कोच्चि : वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक जी. माधवन नायर की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने कहा कि इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर की ओर से एंट्रिक्स देवास सौदे में लापरवाही और अनियमितता हुई है और सरकार को दो उच्च स्तरीय समितियों की रिपोर्ट के आधार कार्रवाई करनी है।
नायर और तीन अन्य वैज्ञानिकों को एंट्रिक्स देवास सौदे में कथित मूमिका के मद्देनजर किसी सरकारी पद ग्रहण करने को प्रतिबंधित कर दिया गया था जिसे उन्होंने पिछले महीने कैट के समक्ष चुनौती दी थी। अंतरिक्ष विभाग की अवसर सचिव राधा जयसिम्हा ने कैट के समक्ष कहा कि नायर ने आदेश जारी होने के बाद से सरकार, विभाग और विभाग के सचिव के खिलाफ गलत और आधारहीन आरोप लगाया और गैर जिम्मेदाराना ढंग से आचरण किया। इस कदम को अत्यंत गैर जिम्मेदाराना करार देते हुए जयसिम्हा ने कहा कि नायर का अचरण विश्वास भंग करने के समान है जो सरकार ने उनपर व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि उनके आचरण के कारण ही उनके खिलाफ इस प्रकार का आदेश जारी किया गया।
नायर की शिकायत को काल्पनिक और तथ्यहीन करार देते हुए उन्होंने कहा कि इस याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि वह अब सरकारी सेवक नहीं है। डॉ. विक्रम साराभाई में प्रतिष्ठित प्रोफेसर पद पर नियुक्ति को रद्द किये जाने के 13 जनवरी के आदेश से आहत नायर ने उन्हें चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने तक इस पद बने रहने के लिए सरकार को निर्देश दिये जाने की मांग की है। उन्होंने इसके एवज में पर्याप्त मुआवजे की मांग की है।
उधर, केंद्र की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियत के तहत विक्रम साराभाई प्रोफेसर के रूप में कार्य से जुड़े मामले में कोई राहत नहीं मांग सकता है। सरकार ने कहा कि इस सौदे के विभिन्न पहलुओं की जांच परख के लिए गठित दो समितियों ने नायर को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत मौका दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकार्ता को ऐसे समय में कोई नोटिस भेजने की जरूरत नहीं थी जब समितियों का गठन किया गया। (एजेंसी)