नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास किसी उद्योग अथवा पत्थर तोड़ने वाली इकाई स्थापित करने की इजाजत देने अथवा वर्तमान में मिली मंजूरी के नवीकरण से केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय और असम सरकार को रोक दिया है।
न्यायाधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा असम सरकार को पिछले महीने की पांच ताराख को नोटिस भेजकर असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य तथा करबी आंगलोंग हाथी अभयारण्य के आसपास ‘नो डेवलपमेंट जोन ’ में अनियमित खनन गतिविधियों के बारे में 29 फरवरी तक जवाब तलब किया। न्यायाधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर 29 फरवरी तक कोई जवाब नहीं मिला तो मामला गुणदोष के आधार पर निपटा दिया जाएगा और समयावधि नहीं बढ़ाई जाएगी।
कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. सूर्यनारायणन नायडू तथा जी.के. पांडे की खंडपीठ ने कहा, ‘अंतरिम कदम के तहत हमने अधिकारियों से अगली तिथि तक यथास्थित बनाए रखने तथा किसी नई पत्थर तोड़ने वाली इकाई तथा अन्य नई औद्योगिक इकाई को निर्धारित क्षेत्र में इजाजत नहीं देने को कहा है। अधिकारी अगली तिथि तक काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास कार्यरत पत्थर तोडने वाली इकाईयों अथवा किसी अन्य इकाइयों को मिली इजाजत का नवीकरण भी नहीं करेंगे।’ (एजेंसी)