किश्तवाड़ हिंसा: SC ने जम्मू-कश्मीर सरकार से रिपोर्ट मांगी

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को किश्तवाड़ जिले में साम्प्रदायिक झड़पें होने और हालात पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का मंगलवार को निर्देश दिया।

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को किश्तवाड़ जिले में साम्प्रदायिक झड़पें होने और हालात पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का मंगलवार को निर्देश दिया।
शीर्ष न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर मुख्य सचिव से 21 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस याचिका में किश्तवाड़ में कर्फ्यू लगाए जाने से वहां फंसे श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने और उन्हें अपने घर लौटने में सक्षम बनाने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि राज्य सरकार कार्रवाई कर रही है और यह नहीं कहा जा सकता कि वह चुप बैठी हुई है।
यह कहा गया कि न्यायालय प्रशासन को नियंत्रित नहीं कर सकता और वे (प्रशासन) हालात से निपटने के लिए सही लोग हैं तथा हलफनामे का अध्ययन करने के बाद ही वह (पीठ) कोई आदेश जारी कर सकती है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘हम प्रशासन पर नियंत्रण नहीं कर सकते। वे हालात पर काबू पाने के लिए सही और सर्वश्रेष्ठ लोग हैं। वे क्षेत्र में हैं। उन्हें अवश्य ही खुल कर हालात पर काबू पाना चाहिए। हम राज्य सरकार को शर्तें लागू करने से कैसे रोक सकते हैं।’
पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति रंजना देसाई और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि इस स्तर पर हम नहीं कह सकते कि राज्य सरकार चुप बैठी हुई है। वे कार्रवाई कर रहे हैं।
पीठ ने कहा कि वह हालात को नजरअंदाज नहीं कर रही है बल्कि कोई आदेश जारी करने से पहले उसे किश्तवाड़ में मौजूद जमीनी हालात का अध्ययन करना होगा।
राज्य सरकार ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि वह हालात पर काबू पाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। सरकार ने कहा कि झड़प में मारे गए लोगों के परिवार के लोगों को पांच-पांच लाख रुपए तथा जिनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है उन्हें दो लाख रुपए तक मुआवजा दिया जाएगा। यह जनहित याचिका जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के राजनीतिक सचिव सुदेश डोगरा ने दायर की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता भीम सिंह के जरिए दायर याचिका में कर्फ्यू के कारण फंसे हुए श्रद्धालुओं के माचिल से बातोट (राष्ट्रीय राजमार्ग) लौटने तक उनके लिए भोजन और मेडिकल सुविधा मुहैया करने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है क्योंकि उनकी जिंदगी खतरे में है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को किश्तवाड़ जिले में हुई साम्प्रदायिक हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए। वहां कर्फ्यू लगाया गया।
किश्तवाड़ की सड़कों पर ईद उल फितर के मौके पर साम्प्रदायिक झड़पें हुई। कई दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। (एजेंसी)

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