छात्रों का अध्ययन स्तर चिंता का विषय: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विद्यार्थियों के अध्ययन के निम्न स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए मंगलवार को कहा कि नामांकन और शिक्षा की सुलभता के बदले कक्षा और स्कूल के अंदर की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विद्यार्थियों के अध्ययन के निम्न स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए मंगलवार को कहा कि नामांकन और शिक्षा की सुलभता के बदले कक्षा और स्कूल के अंदर की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर पुरस्कार विजेता शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने शिक्षा से बच्चों को मिल रहे लाभ का आकलन करने पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में योगदान के लिए शिक्षकों को धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों के अध्ययन का निम्न स्तर एक प्रमुख चिंता बना हुआ है। ऐसे में हमें आगे अपनी रणनीति में स्पष्ट बदलाव की जरूरत है, और हमें लागत, सुलभता और नामांकनों के बदले कक्षा और स्कूल के अंदर क्या हो रहा है, उस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। हमें एक सच्चे अर्थपूर्ण तरीके से बच्चों की उपस्थिति पर नजर रखने के लिए पारदर्शी व विश्वसनीय प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही शिक्षा से बच्चों को मिल रहे लाभ का लगातार आकलन करने की एक प्रणाली स्थापित करने की भी हमें जरूरत है। इस प्रक्रिया में समुदाय और माता-पिता की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी, ताकि वे शिक्षण की गुणवत्ता से संतुष्ट हो सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षकों को नीति निर्माण, शासन और प्रबंधन का एक अभिन्न हिस्सा बनना है, और इसके साथ ही दैनिक निर्देशात्मक रणनीतियों व निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा भी।
मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार ने 2004-05 से शिक्षा पर सार्वजनिक खर्च में काफी वृद्धि की है।
सिंह ने कहा, "शिक्षा खर्च 2004-05 में जीडीपी के 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 2004-05 में चार प्रतिशत हो गया है। शिक्षा पर प्रति व्यक्ति सार्वजनिक खर्च 2004-05 के 888 रुपये से बढ़कर 2011-12 में 2,985 रुपये हो गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। (एजेंसी)

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