जजों की नियुक्ति में कोलेजियम खत्म करने का विरोध

न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बनी कोलेजियम (चयन मंडल) प्रणाली को खत्म करने के सरकार के कदम का न्यायपालिका की ओर से विरोध किए जाने की वजह से न्यायिक नियुक्ति आयोग के संभावित गठन में विलंब हो सकता है।

नई दिल्ली : न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बनी कोलेजियम (चयन मंडल) प्रणाली को खत्म करने के सरकार के कदम का न्यायपालिका की ओर से विरोध किए जाने की वजह से न्यायिक नियुक्ति आयोग के संभावित गठन में विलंब हो सकता है। इस आयोग में कार्यपालिका की भूमिका होने की बात भी है।
सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि न्यायपालिका यह कहते हुए इस दो दशक पुरानी प्रणाली को बदलने का विरोध कर रही है कि इसमें बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर ने हाल ही में कोलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा था कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियां ‘गहन चर्चा’ के बाद की जाती हैं।
मनोनीत प्रधान न्यायाधीश न्यायामूर्ति पी सदाशिवम ने भी इस बात पर जोर दिया है कि कोलेजियम प्रणाली में किसी बदलाव की जरूरत नहीं है। पदाधिकारी ने कहा, मनोनीत प्रधान न्यायाधीश ने इस व्यवस्था में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए चीजों को जटिल बनाते हुए विपक्ष भी इस पर अपनी भूमिका नहीं निभा रहा है।
कई राजनीतिक दलों ने मांग की है कि सरकार को न्याययिक सुधार से संबंधित विधेयक एकसाथ लाने चाहिए। विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता का सुझाव है कि वरिष्ठ न्यायाधीशों की सेवानिवृत्त होने के बाद पुन: नियुक्ति पर रोक होनी चाहिए।
आगामी लोकसभा चुनाव में कुछ महीने बचे हुए हैं और संसद की कार्यवाही निरंतर बाधित रहने की वजह से सरकार को कोलेजियम प्रणाली खत्म करने के लिए जरूरी संवैधानिक संशोधन विधेयक को पारित कराने में कठिनाई होगी। सरकारी पदाधिकारी ने कहा कि सरकार को नयी व्यवस्था लाने में आज नहीं तो किसी दिन कामयाबी मिलेगी।
कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने हाल ही में कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली ने उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं किया है और नियुक्तियों में सरकार की भी भूमिका होनी चाहिए। सिब्बल ने कहा कि वह बहुत जल्द न्यायपालिका से जुड़ी कोलेजियम प्रणाली को हटाने के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव लाएंगे। देश में न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्तियों का सिलसिला 1993 में आरंभ हुआ था और इससे पहले सरकार के स्तर पर उच्च अदालतों में न्यायाधीशों का चयन किया जाता है। (एजेंसी)

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