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इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले में 14 नए गवाहों को बुलाने की दंत चिकित्सक दंपति राजेश तलवार और नुपूर तलवार की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति राजेश दयाल खरे ने दोहरे हत्याकांड मामले में मुख्य आरोपियों राजेश और नुपूर की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘अभियोजन जिन गवाहों को बुलाना उचित समझता है, उनके अलावा गवाहों को बुलाने के लिए उसे बाध्य करने की कोई जरूरत नहीं है।’ इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो के वकील अनुराग खन्ना ने दलील के दौरान तलवार दंपति की याचिका का विरोध किया और कहा कि उन्होंने सुनवाई प्रक्रिया में देरी करने के मकसद से याचिका दायर की है।
न्यायमूर्ति खरे ने कहा, ‘अदालत का यह मानना है कि सुनवाई करने वाली अदालत को यह निर्णय लेने का अधिकार है कि किन गवाहों को बुलाए जाने और बयान दर्ज किए जाने की जरूरत है।’ इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के बजाए सीधा उसके पास याचिका लेकर आने के लिए तलवार दंपति की गलत प्रक्रिया अपनाने पर खिंचाई की थी, जिसके बाद आरुषि के माता पिता ने उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था।
राजेश और नुपूर ने गाजि़याबाद में सीबीआई की विशेष अदालत के चार मई के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें 14 नए गवाहों को बुलाने और उनके बयान दर्ज करने की उनकी अपील खारिज़ कर दी गई थी। इन 14 गवाहों की सूची में शीर्ष आईपीएस अधिकारी अरुण कुमार भी शामिल थे जो जांच के दौरान सीबीआई के संयुक्त निदेशक थे।
आरुषि (14) मई 2008 को नोएडा स्थित घर के अपने कमरे में मृत पाई गई थी। शुरूआत में शक की सुई तलवार के नौकर हेमराज पर थी जो लापता था लेकिन अगले दिन उसका शव घर की छत से बरामद किया गया था।
फरवरी 2011 में गाजि़याबाद में विशेष अदालत ने कहा था कि राजेश और नुपूर के खिलाफ पर्याप्त सबूत है और उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी। (एजेंसी)