देश भर में धूमधाम के साथ मनाई गई जन्माष्टमी
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देश भर में धूमधाम के साथ मनाई गई जन्माष्टमी

भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक और पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी बुधवार को देश-विदेश में पूरे उत्साह से मनाया गया। मुख्य समारोह श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में आयाजित किया गया जहां दुनिया के विभिन्न हिस्से से श्रद्धालु जन्मोत्सव में भाग लेने के लिए पहुंचे।

नई दिल्ली/लखनऊ/कोलकाता : भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक और पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी बुधवार को देश-विदेश में पूरे उत्साह से मनाया गया। मुख्य समारोह श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में आयाजित किया गया जहां दुनिया के विभिन्न हिस्से से श्रद्धालु जन्मोत्सव में भाग लेने के लिए पहुंचे।
मथुरा और वृंदावन के अलावा के अलावा उत्तर प्रदेश के वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, आगरा आदि शहरों में भी जन्माष्टमी के मौके पर समारोह आयोजित किए गए। राज्य सरकार ने राज्य के सभी प्रमुख शहरों में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की थी।
भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया।
भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों ने बुधवार को भगवान के बाल स्वरूप को दुग्ध और शहद से स्नान कराया। भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक श्रीकृष्ण की 5,239वीं जयंती के मौके पर उत्साही कृष्ण भक्तों की टोली ने मानव पिरामिड बनाकर `दही हांडी` को तोड़ा।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उमस भरे वातावरण के बावजूद सभी उम्र के पुरुष, स्त्रियां और बच्चों ने मंदिरों में प्रार्थना की। मंदिरों को इस अवसर पर केले के पत्तों, पूलों और रंग-बिरंगी बल्वों से सजाया गया था। बिड़ला मंदिर, दक्षिणी दिल्ली में इस्कॉन मंदिर और पुरानी दिल्ली में गौरी शंकर मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष धूम-धाम रही।
कोलकाता में मारवाड़ी, गुजराती और बिहारी समुदाय के लोगों ने बाल कृष्ण के लिए सुंदर झांकी सजाई, शहर के मध्य में स्थित गुरुसाडे रोड पर इंटरनेशनल सोसायटी आफ कृष्णा कांसियसनेस (इस्कॉन) द्वारा तैयार पारंपरिक झांकियों में वृंदावन में बड़े से झूले में झूलते भगवान कृष्ण के बाल रूप को दिखाया गया है, जिसे देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी।
एक मारवाड़ी व्यवसायी विनय श्रॉफ ने कहा, "हमारे 22 सदस्यों का संयुक्त परिवार है और हम हर साल झांकी निकालते हैं। इस साल भी हम झांकी निकालेंगे और इसमें लावारिस बच्चों ने भी हमारी मदद की है।"
बिड़ला मंदिर के प्रमुख पुरोहित रवींद्र नागर ने आईएएनएस को बताया, "दिन ढलने के साथ साथ मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ेगी। आज पांच लाख के लगभग भक्तों के मंदिर आने की उम्मीद है।"
जन्माष्टमी में दूध से बने पकवान `पंजीरी` और `पंचामृत` प्रसाद के रूप में ग्रहण किए जाते हैं। जन्माष्टमी के उल्लास को देखते हुए राजधानी के बाजार और दुकानें भी फूलों, मिठाइयों, सजावट के सामान आदि से सजी हैं।
दिल्ली पुलिस ने प्रमुख धार्मिक स्थलों और मंदिरों और आस पास के क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और यातायात की विशेष व्यवस्था की गई थी।
जन्माष्टमी का त्योहार मध्य रात्रि को परवान चढ़ा। लोकमान्यता के मुताबिक भगवान का जन्म मध्य रात्रि को हुआ था। पुरोहितों ने वेद मंत्रोच्चार और शंख व घंटे की ध्वनि के बीच भगवान का `महाभिषेक` किया। बाल कृष्ण की प्रतिमा को जल और दुग्ध से स्नान कराया गया। सुबह में लोग भगवान को पालने में रखने से पहले दूध, दही, गंगाजल, शहद और घी से स्नान कराया। (एजेंसी)

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