पीएम 22 मई को पेश करेंगे यूपीए-2 का रिपोर्ट कार्ड

सरकार की दिनोंदिन खराब होती छवि के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 22 मई को संप्रग 2 का अंतिम रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे जिसमें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण तथा खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जैसे सकारात्मक कदमों को प्रमुखता से शामिल किए जाने की संभावना है।

नई दिल्ली : सरकार की दिनोंदिन खराब होती छवि के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 22 मई को संप्रग 2 का अंतिम रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे जिसमें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण तथा खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जैसे सकारात्मक कदमों को प्रमुखता से शामिल किए जाने की संभावना है। इस रिपोर्ट कार्ड को चुनावी वर्ष के करीब आने के मद्देनजर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के गिरते मनोबल में नयी जान फूंकने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। कैबिनेट मंत्रियों पवन कुमार बंसल तथा अश्वनी कुमार को हाल ही में पदों से बख्रास्त किए जाने और एक के बाद एक सामने आ रहे घोटालों से आहत प्रधानमंत्री के लिए एक सकारात्मक तस्वीर पेश करने का काम वैसे इतना आसान नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और संप्रग के घटक दलों के नेता एक रात्रिभोज में शिरकत करेंगे जिसमें सिंह संप्रग 2 की चौथी वषर्गांठ पर रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे। सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री के बीच तीखे मतभेदों की रिपोटरे की पृष्ठभूमि में गांधी के मनमोहन सिंह को अपना समर्थन जाहिर किए जाने की संभावना है । हालांकि पार्टी ने इन रिपोटरे को खारिज किया है।
बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक तथा भूमि अधिग्रहण विधेयकों से पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा इस मौके पर विभिन्न योजनाओं की घोषणा किए जाने की संभावना है। इन दोनों विधेयकों को पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में खेल का रूख बदलने वाला मान रही है। तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के प्रतिनिधि रात्रिभोज में शिरकत नहीं करेंगे क्योंकि दोनों महत्वपूर्ण घटक संप्रग छोड़ चुके हैं।
भविष्य की चुनौतियों के बावजूद मणिशंकर अय्यर जैसे कांग्रेसी नेता चिंतित नही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि हमें सबसे बडा फायदा यह है कि आजाद भारत का अब तक का सबसे अक्षम विपक्ष हमारे पास है।’’ उन्होंने कहा , ‘‘ सबसे पहले उन्हें उत्तराखंड से , फिर हिमाचल से और अब कर्नाटक से उखाड़ कर फेंक दिया गया है । इस विभाजित विपक्ष से हमें डरने की जरूरत नहीं है और हम आने वाले साल का इस्तेमाल अपनी उपलब्धियों का बिगुल बजाने में कर सकते हैं लेकिन एक शालीन तरीके से ।’’ लेकिन इसके खिलाफ वाम और दक्षिणपंथियों का एक समान आकलन है कि कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन के सत्ता में लौटने की संभावना नहीं है ।
भाजपा के प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘ आजादी के बाद की यह सबसे विफल सरकार है क्योंकि यह सभी मोचरे पर विफल रही है ।’’ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘ भ्रष्टाचार और महंगाई इसके हालमार्क हैं और नेतृत्व का अभाव तथा अकर्मण्यता इसकी पहचान बन गयी है । ’’उन्होंने साथ ही जोर देकर कहा कि भारत का राजनीतिक इतिहास दर्शाता है कि ऐसी स्थिति में ‘‘सत्ता परिवर्तन अवश्यंभावी है ।
माकपा के सीताराम येचुरी इसे दूसरे तरीके से कहते हैं , ‘‘ संप्रग 2 के शासन काल में दो प्रमुख चीजें रही हैं एक के बाद एक हो रहे घोटाले तथा दूसरी , सरकार द्वारा आर्थिक सुधार उपायों को निरकुंश तरीके से लागू करना ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इसका नतीजा यह रहा है कि राजग काल में जो शुरू हुआ था , उस पर इसने सीमेंट लगा दिया है । इसने दो भारत बना दिए हैं... अमीरों के लिए शाइनिंग और गरीबों के लिए सफरिंग ।’’
लेकिन अय्यर के लिए विपक्ष की विश्वसनीयता कोई बहुत अधिक नहीं है । वह कहते हैं कि उन्हें इससे अस्थायी बढ़त मिलती है और वे घोटालों पर भावनाओं के ज्वार में बह जाते हैं । वे इस बढ़त को बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि वे जानते हैं कि सदन के पटल पर हम उन्हें बहस और मत, दोनों में परास्त कर देंगे । इसलिए वे अपनी अक्षमता को कायराना तरीके से पेश करते हैं और टीवी चैनलों पर उत्साह से उछलने लगते हैं ।
यह वषर्गांठ ऐसे समय में मनायी जा रही है जब पिछले दिनों ही संसद का बजट सत्र संपन्न हुआ है जिसका दूसरा चरण कोलगेट मुद्दे पर भाजपा की प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की भेंट चढ़ गया।
कैग ने 100 कोल ब्लाकों के आवंटन में 1. 86 लाख करोड़ रूपये के नुकसान का आकलन पेश किया है । यह आवंटन उस समय हुए थे जब सिंह कोयला मंत्रालय का प्रभार देख रहे थे ।
येचुरी के साथ ही भाकपा के डी राजा भी इस बात पर जोर देते हैं कि महिला आरक्षण विधेयक , लोकपाल तथा न्यायिक जवाबदेही विधेयक जैसे कई महत्वपूर्ण चुनावी वायदे क्रियान्वित नहीं किए गए।
येचुरी कहते हैं, ‘‘ और अब अपने कार्यकाल की अंतिम घड़ी में, वे खाद्य सुरक्षा की बात कर रहे हैं जिसका चार साल पहले वादा किया गया था। जब संप्रग 2 सत्ता में आया था तो यह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के पहले अभिभाषण में शामिल था। राष्ट्रपति ने उस समय कहा था कि संप्रग 2 के पहले 100 दिन के भीतर खाद्य सुरक्षा को लागू किया जाएगा।’’
विपक्ष के बीच सत्तारूढ़ गठबंधन की कोई अच्छी छवि नहीं है । जावडेकर सरकार पर कई संवैधानिक संस्थानों को ‘‘नष्ट ’’ करने , सीबीआई को ‘‘नष्ट करने’’ तथा न्यायिक प्रक्रिया में ‘‘बाधाएं’’ पैदा करने का आरोप लगाते हैं । येचुरी के भी यही विचार हैं । वह आरोप लगाते हैं कि राजनीतिक मोर्चे पर ‘‘संप्रग 2 सरकार बनावटी बहुमत की कला में पारंगत हो गयी है ।’’ वह दावा करते हैं कि मनमोहन की सरकार तृणमूल कांग्रेस के समर्थन वापस लेने और बाद में द्रमुक के भी उसी की राह पकड़ने के बाद ‘‘अल्पमत’’ में आ चुकी है ।
वह कहते हैं , ‘‘ यह सपा और बसपा का समर्थन जुटा कर पद पर बनी हुई है । इस प्रकार संप्रग 2 ने एक नया राजनीतिक चलन शुरू कर दिया है ।’’ लेकिन वाम और दक्षिणपंथी इस बारे में अलग अलग राय रखते हैं । येचुरी और राजा महसूस करते हैं कि लोग राहत की बाट जोह रहे हैं जो न तो भाजपा और न ही कांग्रेस उपलब्ध करा सकती है ।
येचुरी कहते हैं, ‘‘ देश को वैकल्पिक नीतियों की जरूरत है न कि केवल सत्ता में आने वाले राजनीतिक विकल्प की । और इसी पर : वैकल्पिक नीतियों : वाम काम कर रहा है ।’’ जावडेकर को पक्की उम्मीद है कि वर्ष 2014 में सत्ता परिवर्तन होगा जैसा कि 1977 , 1989 , 1998 में हुआ था। 1998 में भाजपा की अगुवाई में राजग सत्ता में आया था।
लेकिन अय्यर विपक्ष के दावों की हवा निकालते हुए कहते हैं, ‘‘ मुझे लगता है कि लोग यह समझेंगे कि केवल अपने साझा अहंकारों के दम पर क्षेत्रीय नेताओं के एक समूह द्वारा गठित खिचड़ी सरकार देश के लिए अच्छी नहीं है । वे यह भी महसूस करेंगे कि विभाजित भाजपा कोई राष्ट्रीय पार्टी नहीं है बल्कि एक छोटी क्षेत्रीय पार्टी है और जनता उसे राष्ट्रीय जिम्मेदारी नहीं देगी। इसलिए मुझे वर्ष 2014 में कांग्रेस की अगुवाई वाली गठबंधन ही दिखता है।’’ (एजेंसी)

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