नई दिल्ली : बुरी तरह घायल अवस्था में भर्ती कराए जाने के बाद एम्स में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही दो वर्षीय फलक के शरीर से कृत्रिम जीवनरक्षक प्रणाली को तब हटा लिया गया जब चिकित्सकों ने पाया कि अब वह खुद सांस ले सकती है। फलक का इलाज कर रहे न्यूरोसर्जन दीपक अग्रवाल ने शुक्रवार को बताया कि उसके शरीर में संक्रमण का स्तर घटा है। उसके रक्त और सीने में अब कोई संक्रमण नहीं है।
डा. अग्रवाल ने कहा, कि रक्त और सीने से लिए गए नमूनों की कल्चर रिपोर्ट कोई भी संक्रमण नहीं दर्शाती है। लेकिन उसके मस्तिष्क में संक्रमण अब भी बरकरार है। एकबार मस्तिष्क में संक्रमण कम हो जाए तो हम इस बात का फैसला कर सकते हैं कि अगली सर्जरी कब की जानी है। फलक को 24 दिन पहले बुरी तरह घायल अवस्था में गत 18 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके सिर में कई जगह चोटें थीं। उसके दोनों हाथ टूटे हुए थे। उसके शरीर पर दांत से काटने के निशान थे और उसके गालों को गर्म इस्त्री से दागा गया था।
अस्पताल में भर्ती कराए जाने के तुरंत बाद उसके मस्तिष्क का ऑपरेशन किया गया था। बाद में दो और सर्जरी की गई थी। चिकित्सकों ने उसका ट्रैकियोस्टॉमी भी किया था।
डा. अग्रवाल ने कहा कि संक्रमण घटने से यह स्पष्ट है कि जो दवाएं उसे दी जा रही हैं उसका उसपर असर हो रहा है। जब तक मस्तिष्क का संक्रमण खत्म नहीं होता है तब तक उसकी हालत गंभीर बनी रहेगी। हालांकि, चिकित्सक चिंतित हैं क्योंकि वह अब भी अचेतावस्था में है। उन्होंने कहा कि तीन हफ्ते से अधिक समय से वह अचेत है। यह सही संकेत नहीं है। उसका पितृत्व परीक्षण करने के लिए अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग ने उसका डीएनए परीक्षण किया है।
इससे पहले, फलक के शरीर में संक्रमण का स्तर कम होने के साथ ही उसकी चिकित्सा में जुटे डॉक्टर उसकी और एक सर्जरी करने की तैयारी पर विचार कर रहे थे। फलक का इलाज कर रहे एम्स के न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक अग्रवाल ने बताया कि संक्रमण का स्तर कम होने के बाद डॉक्टर उसे वेंटीलेटर से हटाने के बारे में भी विचार कर रहे हैं।
डॉ. अग्रवाल ने बताया, ‘उसके रक्त और सीने से लिए गए नमूनों की कल्चर रिपोर्ट में बिल्कुल संक्रमण नहीं है। मस्तिष्क को छोड़ कर अन्य सभी हिस्सों में संक्रमण का स्तर कम होने के बाद हम उसकी और एक सर्जरी करने पर विचार करेंगे।’ फलक को बेहद गंभीर स्थिति में 24 दिन पहले एम्स के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया था। डॉ. अग्रवाल ने बताया, ‘इन सभी बातों से साफ होता है कि उसे दी जाने वाली दवाओं का उसपर अच्छा असर हो रहा है। जब तक मस्तिष्क का संक्रमण खत्म नहीं हो जाता उसकी हालत गंभीर बनी रहेगी।’
(एजेंसी)