नई दिल्ली : 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुये सैनिकों को आज श्रद्धाजंलि देते हुये रक्षामंत्री ए के एंटनी ने दोनों देशों के बीच दोबारा युद्ध छिड़ने की आशंका से इंकार किया और कहा कि ऐसे किसी भी खतरे से निपटने के लिये सेनायें देश की सुरक्षा हेतु आश्वस्त हैं। ऐसा पहली बार है जब भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान ने वर्ष 1962 की जंग में शहीद हुये और भाग लेने वाले सैनिकों को आधिकारिक रूप से सम्मानित किया है।
एंटनी ने भारत-चीन युद्ध के 50 साल पूरे होने पर यहां आयोजित सैनिकों के सम्मान समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आज का भारत, 1962 का भारत नहीं है। समय के साथ एक के बाद एक आई सरकारों ने पिछले अनुभवों से सीखते हुये हमारी क्षमता को मजबूत किया और सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाया है। इस बात में कोई शक नहीं है कि किसी भी खतरे की सूरत में हमारी सेनायें देश की सुरक्षा कर सकेंगी। रक्षामंत्री से चीन के खतरे के आकलन और इससे निपटने के लिये भारत की तैयारियों के बारे में सवाल पूछा गया था। उल्लेखनीय है कि भारत-चीन युद्ध में भारत को हार का मुंह देखना पड़ा था और चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया।
रक्षामंत्री एंटनी, रक्षा राज्यमंत्री एम एम पल्लम राजू, मार्शल ऑफ दि एयरफोर्स अर्जन सिंह, तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने वर्ष 1962 के शहीदों को श्रद्धाजंलि दी और अमर जवान ज्योति पर पुष्पचक्र अर्पित किया । एंटनी ने कहा कि देश में एक के बाद एक आई सरकारों ने युद्ध से सबक सीखा और सैन्य क्षमता को मजबूत किया और आधारभूत ढांचे को विकसित किया।
एंटनी ने कहा, हम पूरी ताकत से अपनी क्षमताओं को बढ़ाते रहेंगे। रक्षामंत्री ने माना कि भारत, चीन के साथ बातचीत कर रहा है ताकि लंबे समय से लंबित सीमा विवाद का निपटारा किया जा सके। इसके अलावा सीमा पर किसी भी तनाव के ‘तत्काल समाधान’ के लिये एक तंत्र बनाया गया है।
यह पूछे जाने पर कि वर्ष 1962 की जंग में शहीद हुये लोगों को सरकार द्वारा सम्मानित करने में 50 साल क्यों लग गये, रक्षामंत्री ने कहा, ‘‘कुछ भी नहीं बदला है । यह 50वां साल है और हमें लगा कि यही ऐसा समय है जब पूरे देश को आवश्यक रूप से सीमा की सुरक्षा करते शहीद हुये अधिकारियों और जवानों को श्रद्धाजंलि देनी चाहिए।
इस जंग से मिली सीख पर एंटनी ने कहा, सबसे बड़ा सबक यह है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिये सशस्त्र बलों को मजबूत करना होगा। यह हम कर रहे हैं और अब हम इस स्थिति में हैं कि सैन्य बलों, खुफिया एजेंसियों और देश की सुरक्षा में शामिल अन्य संगठनों को इस प्रक्रिया में और ज्यादा मजबूती से शामिल कर सके। यह पूछे जाने पर कि सरकार वर्ष 1962 के युद्ध पर हेंडर्सन ब्रूक्स रिपोर्ट को कब सार्वजनिक करेगी, इस पर रक्षा मंत्री ने कहा, हमें इस पर फैसला लेना है। इंडिया गेट पर एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाये जाने संबंधी सभी मुद्दे सुलझ गये हैं और सरकार की ओर से इसे अनुमति दिये जाने की प्रकिया अंतिम चरण में है। (एजेंसी)