जयपुर : साहित्य का महाकुंभ कहे जा रहे जयपुर साहित्य उत्सव के पहले दिन गुरुवार को तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा आकर्षण का केंद्र रहे। साहित्य के संसार में बुद्ध के प्रभाव के बारे में बात करते हुए दलाई लामा ने नालंदा विश्वविद्यालय के दिनों से ही ज्ञान के क्षेत्र में भारत के असीम योगदान का जिक्र किया।
साल 2005 में शुरू हुए जयपुर साहित्योत्सव में पहली बार अपने संबोधन में दलाई ने कहा, ‘भारत हमारा गुरु है और उस समूचे ज्ञान का स्रोत है जो नालंदा से हमें प्राप्त हुआ है।’ साहित्य उत्सव में अगले पांच दिन तक आयोजित होने वाले सत्रों की श्रृंखला में दर्शनशास्त्र एवं साहित्य पर बुद्ध धर्म के प्रभाव की बात की जाएगी। इसी क्रम में दलाई ने भारत की तारीफ करते हुए कहा, ‘यह इस बात का एक जीता-जागता उदाहरण है कि किस तरह अलग-अलग धर्म और समुदाय एक साथ रह रहे हैं।’
दलाई ने जब अहिंसा और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका की बात की तो लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनसे सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘अहिंसा के विचार में भी भारत की महानता है। यह इस बात का एक जीता-जागता उदाहरण है कि किस तरह अलग-अलग धर्म और समुदाय एक साथ रह रहे हैं।’ (एजेंसी)
जयपुर साहित्य उत्सव-2013
भारत `सर्व धर्म सम्भाव` का उदाहरण : दलाई लामा
जयपुर साहित्य उत्सव में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत की तारीफ करते हुए कहा, ‘यह इस बात का एक जीता-जागता उदाहरण है कि किस तरह अलग-अलग धर्म और समुदाय एक साथ रह रहे हैं।’
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