ज़ी न्यूज ब्यूरो
इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के तीन गांवों में भूमि अधिग्रहण को शुक्रवार को रद्द कर दिया और गौतम बुद्ध नगर जिले में कुछ अन्य गांवों के किसानों के लिए मुआवजा बढ़ाने का आदेश दिया।
साथ ही पतवाड़ी गांव के किसानों को सशर्त राहत दी है। बाकी 60 गांवों के किसानों का 64 फीसदी मुआवजा बढ़ाया गया है। किसानों को विकसित जमीन का 10 फीसदी हिस्सा भी मिलेगा।
यह आदेश विशेष तौर पर गठित तीन जजों की पीठ ने पारित किया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, एसयू खान और वीके शुक्ला की पीठ ने जिले में एक दर्जन से अधिक गांवों के 491 किसानों की तरफ से दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। इन किसानों ने राज्य सरकार द्वारा 3,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी है।
साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2021 का मास्टर प्लान लागू करने का आदेश दिया है। नोएडा अथॉरिटी ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद दिए गए प्रतिक्रिया में कहा है कि यह एक संतुलित फैसला है जिससे विकास कार्य प्रभावित नहीं होगा।
तीन गांवों देवला, चाक शाहबेरी और असदुल्लाहपुर में रिहाइशी फ्लैटों के मालिक कोर्ट के इस आदेश से प्रभावित होंगे। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इन गांवों के प्रभावित किसान अपनी भूमि वापस लेने के पात्र होंगे बशर्ते उन्हें अगर कोई मुआवजा पहले मिल चुका है, तो उसे लौटा दें।
न्यायालय ने यह आदेश भी दिया कि जब तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नियोजन बोर्ड की तरफ से निर्माण की मंजूरी नहीं दी जाती है, क्षेत्र में आगे कोई निर्माण नहीं होगा।
गौरतलब है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के इलाकों का विकास मायावती सरकार की प्राथमिकता सूची में काफी उपर रहा है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है और सरकार किसानों के भारी विरोध एवं विपक्षी दलों द्वारा आलोचना किए जाने से खुद को असमंजस की स्थिति में पा रही है।
इससे पहले, 12 मई को हाईकोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर के शाहबेरी गांव में 156 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण को रद्द कर दिया था। राज्य सरकार ने इस गांव की भूमि का अधिग्रहण औद्योगिक विकास के नाम पर किया था, लेकिन बाद में इसे निजी बिल्डरों को बेच दिया था। हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन जजों की एक विशेष पीठ का गठन किया था।