नई दिल्ली : कृषि मंत्री शरद पवार ने आज उन आरोपों को खारिज करने की कोशिश की जिसमें कहा गया है कि वह और उनका परिवार महाराष्ट्र में भारत की पहली नियोजित पहाड़ी शहर परियोजना लवासा में अवैध भूमि अधिग्रहण में शामिल है।
राकांपा प्रमुख ने दावा किया कि करीब 300 एकड़ जमीन पुणे में उनके गृह जिले में परियोजना के लिए दी गई। यह जमीन में महाराष्ट्र की हिल स्टेशन नीति के हिस्से के तौर पर दी गई। उन्होंने ये बातें मुंबई के पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई पी सिंह द्वारा लगाए गए उन आरोपों के मद्देनजर कहीं जिसमें कहा गया था कि पवार और उनका परिवार लवासा में अवैध भूमि अधिग्रहण में शामिल है।
पवार ने कहा, ‘राज्य सरकार को हिल स्टेशन नीति के अनुसार जमीन देने का अधिकार है। 300 एकड़ जमीन में से 80 फीसदी जलमग्न है और कोई निर्माण नहीं हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा नीति के अनुसार किया गया है और इस बारे में कोई दो राय नहीं है।’ पवार ने माना कि उनकी पुत्री सुप्रिया सुले और दामाद सदानंद सुले का लवासा कॉरपोरेशन में शेयर था लेकिन साल 2005-06 में जब विवाद शुरू हुआ तो उन्होंने अपनी हिस्सेदारी बेच दी।
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर सिंह द्वारा दिए गए बयान का उल्लेख करते हुए पवार ने कहा कि यह सरकार के रुख की ही पुष्टि करता है। सिंह ने कहा था कि अगर सरकार द्वारा अधिग्रहण की गई जमीन का एक हिस्सा परियोजना पूरी होने के बाद बच जाता है तो यह पुराने मालिक को नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कृष्णा वैली डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने लवासा कॉरपोरेशन को हिल स्टेशन का विकास करने की सरकार की नीति के अनुसार जमीन दी थी। (एजेंसी)
शरद पवार
लवासा भूमि के आरोपों को पवार ने किया खारिज
कृषि मंत्री शरद पवार ने आज उन आरोपों को खारिज करने की कोशिश की जिसमें कहा गया है कि वह और उनका परिवार महाराष्ट्र में भारत की पहली नियोजित पहाड़ी शहर परियोजना लवासा में अवैध भूमि अधिग्रहण में शामिल है।
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