नई दिल्ली : सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर आपत्तिजनक सामग्री के प्रकाशन पर रोक लगाने के सरकार के कदम पर नेताओं, फिल्मी हस्तियों और बुद्धिजीवियों ने मिली जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
भारत में माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट ट्विटर को बढ़ावा देने वाले पूर्व विदेश राज्य मंत्री और केरल के सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया कि वह राजनीतिक सेंसरशिप के खिलाफ हैं लेकिन ‘सांप्रदायिक रूप से भड़काउ’ सामग्री जैसे कुछ चिंताजनक मुद्दे हैं।
‘ट्विटर मिनिस्टर’ के नाम से मशहूर थरूर ने लिखा, मैंने कपिल सिब्बल से बात की है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वह राजनीतिक सेंसरशिप का विरोध करते हैं। चिंता की बात सांप्रदायिक रूप से भड़काउ चित्र और भाषा हैं जिसकी उन्होंने बात कही है। सिब्बल ने जिन उदाहरणों को मुझे दिया वह धर्म और समुदायों के मामले में बेहद आक्रामक सामग्री है जो दंगे भड़का सकता है।
उन्होंने कहा, मैं सेंसरशिप को खारिज करता हूं। कला, साहित्य और राजनीतिक विचार पाक साफ हैं। सांप्रदायिक रूप से भडकाउ सामग्री पेट्रोल पंप पर माचिस के समान है। इस बीच उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा सांसद और ट्विटर पर सक्रिय वरूण गांधी ने थरूर के बयान से असहमति जताई और कहा कि इंटरनेट एकमात्र सच्चा और लोकतांत्रिक माध्यम है जो ‘निहित स्वार्थ, मीडिया मालिकों और पैसा लेकर खबर लिखने वाले पत्रकारों से मुक्त है।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री और ट्विटर का भरपूर इस्तेमाल करने वाले उमर अब्दुल्ला ने दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के साथ सहमति जताते हुए मंगलवार को कहा कि वह मीडिया सेंसरशिप के खिलाफ हैं लेकिन कुछ सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों की सामग्री खतरनाक और भड़काउ है।
उमर ने ट्वीट किया, मैं सेंसरशिप के विचार से घृणा करता हूं लेकिन मैंने स्वयं भी देखा है कि फेसबुक और यूट्यूब पर कितनी खतरनाक और भडकाउ सामग्री हो सकती है।
इससे पहले कपिल सिब्बल ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर आपत्तिजनक सामग्री पर चिंता जताई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इसे जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकती है।
अभिनेता अनुपम खेर ने इस कदम की आलोचना करते हुए ट्वीट किया, मैं समझता हूं कि ‘अतुल्य भारत’ नारा प्रगति और अनूठेपन को दर्शाता था न कि हमारे मूलभूत अधिकारों पर निगरानी के बारे में। यह एक बड़ा मजाक है। चर्चित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने लिखा, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंत्री इंटरनेट सेंसरशिप के पक्ष में हैं। लेकिन बिना अभिव्यक्ति के अधिकार के कोई लोकतंत्र नहीं हो सकता है। फिल्मकार प्रीतिश नंदी ने कहा, इंटरनेट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अंतिम स्थान बचा है। (एजेंसी)