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नई दिल्ली: आमतौर पर सरकारी विभागों पर लाल फीताशाही और जनता से कटे होने का आरोप लगता रहता है लेकिन विदेश मंत्रालय, दिल्ली पुलिस, दिल्ली मेट्रो और अब इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आना सीधे आम आदमी से जुड़ने की कोशिश माना जा रहा है।
साइबर मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ स्तंभकार पीयूष पांडे ने कहा है कि भारत में 10 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन कंपनी गूगल का मानना है कि वर्ष 2015 तक भारत में 30 करोड़ लोग मोबाइल और कंप्यूटर के जरिये इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगेंगे।
उन्होंने कहा कि इन भारतीय इंटरनेट उपभोक्ताओं में बड़ी संख्या में लोग सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर सक्रिय हैं। इसलिये अब सरकार के लिये सोशल मीडिया को नजरअंदाज करना संभव नहीं है।
पांडे ने कहा कि हैती का भूकंप, मुंबई की बाढ़ और अन्ना हजारे के आंदोलन कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें आगे बढ़ाने में सोशल नेटवर्किंग साइटों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के कारण दुनियाभर के 72 शहरों में अन्ना हजारे के समर्थन में एक साथ रैली निकाली गई । इससे यह संदेश गया कि देश में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है।
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी हाल ही में कहा था कि सरकार ने इस आंदोलन से सोशल मीडिया वेबसाइटों ट्विटर, फेसबुक, यू ट्यूब और ब्लॉग की ताकत को समझा है और इससे सबक लिया है। उन्होंने माना कि सरकार ने ट्विटर की ताकत को नजरअंदाज किया । पांडे ने बताया कि सरकार अब यह बात समझ गई है कि इससे जुड़ने में ही समझदारी है। अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान सरकार ने इस बात की बेहद कमी महसूस की कि सोशल मीडिया पर उनका पक्ष रखने वाला कोई नहीं है।
पीयूष पांडे ने कहा है कि हजारे के आंदोलन के बाद सरकार के अंदर इस बात को लेकर बेचैनी है कि कैसे सोशल मीडिया पर सरकार का पक्ष रखा जाये। सूचना तकनीक मंत्रालय ने सरकारी विभागों के लिये सोशल मीडिया नीति के बारे में लोगों से सुझाव मांगे थे और इस साल के अंत तक सरकार की सोशल मीडिया नीति आ सकती है। सरकार सोशल मीडिया के जरिये नीतियों को बनाने में लोगों की राय जानना चाहती है।
विदेश मंत्रालय का इंडियन डिप्लोमेसी के नाम से ट्विटर अकाउंट है, दिल्ली पुलिस फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय है। (एजेंसी)