सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर ध्यान दे कैग : सरकार

केंद्र सरकार ने कहा है कि कैग को शीर्ष अदालत के इस विचार पर ध्यान देना चाहिए कि प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए नीलामी ही एकमात्र सही तरीका नहीं है।

नई दिल्ली : प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के बारे में सुप्रीम कोर्ट की माफिक सलाह के बाद आज केंद्र सरकार ने कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को शीर्ष अदालत के इस विचार पर ध्यान देना चाहिए कि प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए नीलामी ही एकमात्र सही तरीका नहीं है। हालांकि, कोयला और लिग्नाइट जैसे मामलों में उसने कहा कि उसके पास नीलामी के अलावा और कोई रास्ता नहीं है क्योंकि इस संबंध में कानून ही ऐसा है।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कहने का तात्पर्य यह है कि कैग की रिपोर्ट में अनुमानित नुकसान का आंकलन करने के लिए नीलामी को मानदंड बनाया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि भविष्य में सभी संवैधानिक संस्थान अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते समय सुप्रीम कोर्ट की इस सलाह का ध्यान रखेंगे।’ चिदंबरम ने यह बात इस सवाल पर कही कि 2जी स्पेक्ट्रम के निर्णय के संबंध में राष्ट्रपति के पत्र पर सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ की सलाह से 2जी और कोयला ब्लॉक आवंटन विवाद में सरकार की बात सही साबित हुई है। कैग ने अपनी रिपोर्टों में निष्कर्ष निकाला था कि स्पेक्ट्रम और कोल ब्लॉकों की दोषपूर्ण आवंटन प्रक्रिया की वजह से सरकार को लाखों-करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने गुरुवार को इस मामले में कहा था कि निजी कंपनियों को प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन करने के लिए नीलामी एकमात्र प्रक्रिया नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘कैग के नुकसान या अनुमानित नुकसान का आंकलन सिर्फ नीलामी के मानक पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए नीलामी कराना संवैधानिक अनिवार्यता नहीं है। मुझे लगता है कि हम सभी एक प्रकार से सीखने की प्रक्रिया में हैं।’
नीतियों में अनियमितताओं के बारे में चिदंबरम ने कहा, ‘जहां तक अनियमितताओं की बात है, हम लगातार कह रहे हैं कि यदि किसी नीति को लागू करने में अनियमितता हुई है या कानून का उल्लंघन हुआ है, तो उसे ठीक किया जाएगा और जो इसके लिए जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’
स्पेक्ट्रम के मसले पर चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने 2जी पर 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया है। इससे खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। स्पेक्ट्रम नीलामी से मिलने वाले राजस्व के बारे में चिदंबरम ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इससे उल्लेखनीय राशि हासिल होगी।’
इस सवाल पर कि 1994 से किए गए अनुबंधों की स्थिति क्या रहेगी, चिदंबरम ने कहा कि यदि सरकार ने कोई आर्थिक नीति अपनाई है और उसके आधार पर अनुबंध किया गया है, उनमें किसी तरह के अधिकार के दुरुपयोग या अनियमितता तथा गैरकानूनी काम का मामला सामने नहीं आता है, तो वे अनुबंध कायम रहेंगे। कैग पर एक अन्य सवाल पर सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की राय के बाद सरकारी ऑडिटर अब नुकसान को नीतिगत फैसलों से नहीं जोड़ सकता।
कोल आवंटन से संबंधित सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक कोयला या लिग्नाइट का सवाल है, सरकार की नीति के अनुसार नीलामी इसके आवंटन का एक तरीका मात्र है। चिदंबरम ने यह भी कहा कि नीतियों में हमेशा विकल्प निर्णय की गुंजाइश होती है। सरकार को वैकल्पिक फैसले करने का अधिकार होता है। उन्होंने कहा कि (सरकार का उद्देश्य) केवल राजस्व बढ़ाना नहीं होता। अन्य उद्देश्य भी होते हैं। सरकार को इनमें से चुनना होता है और अदालत ऐसे फैसले की समीक्षा नहीं करेगी। विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि सरकार के भविष्य के निर्णय सुप्रीम कोर्ट की सलाह को ध्यान में रखकर लिए जाएंगे। (एजेंसी)

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