कर्नाटक में नया नाटक, 12 इस्तीफे खारिज, 1 मंजूर

पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को दोहरा झटका लगा है।

बैंगलुरू : पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को दोहरा झटका लगा है। एक तरफ कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष ने उनके करीबी 12 भाजपा विधायकों के इस्तीफों पर फैसला टाल दिया है वहीं कर्नाटक जनता पार्टी के पूर्व संस्थापक अध्यक्ष पद्मनाभ प्रसन्ना ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाने के फैसले को वापस ले लिया है।
भाजपा के असंतुष्ट विधायकों ने आज विधानसभा अध्यक्ष के जी बोपैया को अपने त्यागपत्र व्यक्तिगत रूप से सौंपे। बोपैया ने एक-एक करके सभी विधायकों से मुलाकात की और पूछा कि क्या वह अपनी इच्छानुसार ऐसा कर रहे हैं। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफों पर फिलहाल फैसला टाल दिया। येदियुरप्पा ने जगदीश शेट्टार सरकार को 4 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र से पहले संकट में डालने के लिए यह कदम चला था।
येदियुरप्पा ने बोपैया की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया और उनके इस्तीफे की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने कल ही मुझे समर्थन देने वाले 12 विधायकों को अयोग्य करार देने की साजिश रची थी और बोपैया सत्तारूढ़ पार्टी की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं। विधायकों ने शनिवार को भी बोपैया को इस्तीफे देने का प्रयास किया था लेकिन वह शहर में नहीं थे। इसके बाद विधायकों ने अपने इस्तीफों की प्रतियां राज्यपाल एच आर भारद्वाज को सौंपीं।
भाजपा के दो विधायकों ने कल विधानसभा अध्यक्ष को याचिका देकर 12 बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी।
येदियुरप्पा को एक और झटका लगा है। केजेपी के संस्थापक अध्यक्ष पद्मनाभ प्रसन्ना ने चुनाव आयोग को संदेश भेजकर कहा कि 20 दिसंबर, 2012 को पार्टी कार्यकारिणी की आपातकालीन बैठक में येदियुरप्पा को प्रदेश इकाई का अध्यक्ष निर्वाचित करने के फैसले को वापस लेने का फैसला हुआ था। येदियुरप्पा ने भाजपा से अलग होकर गत 9 दिसंबर को उत्तर कर्नाटक के हावेरी में आयोजित रैली में केजेपी अध्यक्ष का पद संभाला था। केजेपी पार्टी का अस्तित्व पहले से था लेकिन येदियुरप्पा के शामिल होने के बाद यह खबरों में आई और इसे हावेरी में औपचारिक तौर पर लांच किया गया।
प्रसन्ना ने 3 जनवरी को चुनाव आयोग को लिखे अपने पत्र में कहा है कि केजेपी की बैठक में फैसला हुआ था कि अध्यक्ष पद पर वह बने रहेंगे। यह पत्र मीडिया को जारी किया गया है।
खुद को पार्टी अध्यक्ष के पद से हटाये जाने के प्रसन्ना के कदम को खारिज करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि प्रसन्ना पहले ही चुनाव आयोग को पद छोड़ने की और उनके अध्यक्ष बनने की जानकारी दे चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनका मानसिक संतुलन खो गया है वे कुछ भी कर सकते हैं। केजेपी ने तुरत फुरत प्रतिक्रिया में प्रसन्ना की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समाप्त कर दी।
केजेपी के महासचिव राजेंद्र घोकाले ने यहां एक बयान में कहा कि केजेपी से येदियुरप्पा के निष्कासन की खबर सच से कोसों दूर है।’’ उन्होंने कहा कि प्रसन्ना ने 17 जनवरी को चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा था कि उन्होंने 9 नवंबर, 2012 को पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था और वी धनंजय कुमार को नया अध्यक्ष बनाया गया था।
घोकाले के अनुसार गत एक दिसंबर और 10 दिसंबर को पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में येदियुरप्पा को अध्यक्ष बनाया गया। (एजेंसी)

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