कोलकाता : पश्चिम बंगाल में हाल के उपचुनावों के नतीजे से वाम विरोधी मतों के बंटने का वाममोर्चा को फायदा पहुंचने की बात साबित हुई है लेकिन तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस फिर गठजोड़ करने के लिए फिल्हाल बिल्कुल तैयार नहीं दिखतीं।
वाममोर्चा ने उपचुनाव में कांग्रेस से नलहटी सीट छीन ली। कांग्रेस 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल के साथ गठबंधन रहने के दौरान यह सीट जीती थी। इसी तरह, इंग्लिश बाजार और रेजीनगर निर्वाचन क्षेत्रों में क्रमश: कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की जीत यह दर्शाती है कि यदि दोनों मिलकर चुनाव लड़ती तो जीत का अंतर अधिक होता।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, ‘हमें तृणमूल के साथ गठजोड़ क्यों करना चाहिए? उसने हमारी पीठ में छुरा घोंपा था। वह हमारी मदद से विधानसभा चुनाव जीत गयी और जीतने के बाद उसने अपना असली रंग दिखा दिया एवं हमारे साथ विश्वासघात किया। मुझे नहीं लगता कि निकट भविष्य में किसी गठजोड़ की कोई संभावना है।’
तृणमूल महासचिव मुकुल राय ने भी तीखी प्रतिक्रिया की। उन्होंने कहा, ‘हम कांग्रेस जैसी जन विरोधी पार्टी के साथ गठजोड़ करना नहीं चाहते। यही वजह है कि हमने जन विरोधी नीतियों का विरोध करते हुए संप्रग से नाता तोड़ लिया। उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि उत्तर बंगाल में हम विकास कर रहे हैं और हम कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रूकना नहीं चाहते।’ (एजेंसी)
पश्चिम बंगाल
कांग्रेस और तृणमूल का गठजोड़ से इनकार
पश्चिम बंगाल में हाल के उपचुनावों के नतीजे से वाम विरोधी मतों के बंटने का वाममोर्चा को फायदा पहुंचने की बात साबित हुई है लेकिन तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस फिर गठजोड़ करने के लिए फिल्हाल बिल्कुल तैयार नहीं दिखतीं।
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