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लखनऊ : ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण विवाद में नोएडा प्राधिकरण को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आपसी समझौते का जो समय दिया था वह 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है. अब सबकी निगाहें कोर्ट की 17 अगस्त को इस मुद्दे पर होने वाली सनवाई पर टिकी हुई है. पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो जजों की एक खंडपीठ ने ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण का मामला एक बड़ी पीठ को सौंप दिया था. कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को बातचीत से मामला सुलझाने के लिए 12 अगस्त तक का मौक़ा दिया था. अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख़ तय कर रखी है.
पटवारी गाँव के करीब 600 किसानों ने तो गुरुवार को बेहतर मुआवज़ा लेने संबंधी दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर कर भी दिए हैं. इन किसानों की ज़मीन भी अधिग्रहित की गई थी. लेकिन विवाद की वजह से कई लोगों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. अदालत ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से कहा है कि वो अगली सुनवाई पर इस बात का पूरा विवरण पेश करे कि कितने किसानों ने मुआवजा ले लिया है और कितने किसानों ने नहीं लिया है.
किसानों का आरोप है कि उन्हें बहुत कम दर पर मुआवजा दिया गया और वही ज़मीन ऊँचे दाम पर बिल्डर्स को दे दी गई. इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा इस तरह ज़मीन अधिग्रहण को गै़र-कानूनी बताते हुए रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फ़ैसले पर मोहर लगा दी.