बेंगलुरु : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ 66 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष अदालत में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पास से जब्त जेवरात और अन्य सामग्री का ‘बढ़ा-चढ़ाकर मूल्यांकन’ किया गया है। उन्होंने इसके साथ ही इन सभी चीजों का फिर से मूल्यांकन कराने की मांग की। उनसे सवाल जवाब की कार्रवाई अधूरी रही और न्यायाधीश ने मामले को आठ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
एक विशेष अदालत में शुक्रवार को एक बार फिर पेश हुईं जयललिता ने विशेष अदालत के न्यायाधीश बीएम मल्लिकार्जुनैया के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए। जयललिता गुरुवार को अपने बयान दर्ज कराने के बाद चेन्नई वापस लौट गई थीं और परप्पाना अग्रहारा केंद्रीय जेल में बनाई गई विशेष अदालत के समक्ष पेश होने के लिए शुक्रवार सुबह फिर बेंगलुरु पहुंचीं। उन्होंने गुरुवार की तरह शुक्रवार को भी करीब 379 सवालों के जवाब दिए। इस बीच, जयललिता ने कोर्ट में खुद के पेश होने से छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया है।
जयललिता पर 1991 से 1996 के बीच 66 करोड़ रुपये जमा करने का आरोप है। उस समय वे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं। इस मामले में तीन अन्य आरोपी जयललिता की करीबी शशिकला नटराजन, उनका भतीजा सुधाकरन और रिश्तेदार इलावारसी हैं।
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को चेन्नई से बेंगलुरू स्थानांतरित किए जाने के लगभग आठ साल बाद जयललिता पहली बार अदालत में पेश हुईं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को बेंगलुरू में निजीतौर पर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। जयललिता ने सुरक्षा चिंताओं और मुख्यमंत्री के नाते अपने व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना बयान देने की अनुमति मांगी थी। (एजेंसी)