त्रिपुरा में भी अलग राज्य के गठन की उठी मांग

आंध्र प्रदेश में पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले के बाद त्रिपुरा में एक जनजातीय पार्टी भी अलग राज्य की मांग को दोहराने लगी है।

अगरतला : आंध्र प्रदेश में पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के फैसले के बाद त्रिपुरा में एक जनजातीय पार्टी भी अलग राज्य की मांग को दोहराने लगी है। इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने ट्राइबल आटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (टीएडीसी) में सुधार कर अलग राज्य बनाने की मांग की है। इस पार्टी को जनजातीय लोगों का बहुत थोड़ा समर्थन प्राप्त है।
राज्य में जनजातीय लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास में मुख्य भूमिका निभाने वाले टीएडीसी के अंतर्गत त्रिपुरा के दो-तिहाई इलाके आते हैं। इसका गठन 1985 में किया गया था। त्रिपुरा की 37 लाख आबादी में तीसरा मुख्य हिस्सा जनजातीय लोगों का है। कई साल पहले पहली बार अलग राज्य की मांग उठाने वाली आईपीएफटी यहां के मूल जनजातीय लोगों का भी समर्थन पाने में नाकाम रही है।
सत्तारूढ़ मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस एवं इसकी सहयोगी इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा ने आईपीएफटी के अलग राज्य की मांग का विरोध किया है। आईपीएफटी के महासचिव अघोरे देबबर्मा ने कहा, `हम जनजातीय लोगों के बीच जागरूकता फैला रहे हैं और उनसे जुड़ने के लिए कार्यक्रम कर रहे हैं और 23 अगस्त को अलग राज्य की मांग को लेकर एक रैली की जाएगी। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग राज्य की मांग करने वाले नेताओं को भी रैली को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।`
उन्होंने वामपंथी सरकार को कमजोर बताते हुए कहा कि इसके पास अपने लोगों के विकास के लिए कोई शक्ति मौजूद नहीं है। आईपीएफटी अपनी मांग को लेकर 23 अगस्त को राज्यपाल देवानंद कनवर को ज्ञापन सौंपेगी। देबबर्मा ने कहा, `लोगों की मौलिक परेशानियां टीएडीसी से नहीं सुलझ रही हैं। वे अपनी जमीन खो रहे हैं। राज्य के कोकबोरोक भाषी लोगों की स्थिति भी दयनीय है।`
इस बीच, माकपा के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता गौतम दास ने कहा, `त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य का आगे बंटवारा नहीं किया जा सकता। आईपीएफटी इस अयथार्थवादी मांग के जरिए राज्य में खुद को दोबारा प्रासंगिक बनाने की कोशिश कर रही है।` दास ने कहा कि यहां के मूल जनजातीय लोग भी आईपीएफटी की मांग का समर्थन नहीं करते। (एजेंसी)

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