नैरोबी मॉल : सुरक्षाकर्मी ने भगवान बनकर बचाई जान

नैरोबी के वेस्टगेट शॉपिंग मॉल में उग्रवादियों के हमले के दौरान एक सुरक्षाकर्मी की सूझबूझ और साहस ने केरल के एक परिवार सहित अन्य कई लोगों की जान बचायी।

तिरुवनंतपुरम : नैरोबी के वेस्टगेट शॉपिंग मॉल में उग्रवादियों के हमले के दौरान एक सुरक्षाकर्मी की सूझबूझ और साहस ने केरल के एक परिवार सहित अन्य कई लोगों की जान बचायी। सुरक्षाकर्मी ने हमले की सूचना मिलते ही उस परिवार के साथ-साथ अन्य लोगों को एक अंधेरे भंडारगृह में बंद कर दिया और मौका मिलते ही उन्हें मॉल के एक गुप्त रास्ते से सुरक्षित बाहर निकाल दिया।
उस भयानक मंजर को याद करते हुए ज्योतिश ने कल नैरोबी से फोन पर अपने परिवार और ससुराल वालों को बताया कि यदि सुरक्षाकर्मी ने समय रहते उनकी मदद नहीं की होती तो वे भी हमलावरों की गोलियों का निशाना बन गए होते। उन्होंने कहा, ‘सही समय पर हमारे पास आकर हमें जमीन पर लेटने की सलाह देने के लिए मैं उस सुरक्षाकर्मी को धन्यवाद देता हूं। यदि उसने तुरंत यह कदम नहीं उठाया होता तो हमलावरों ने हमें भी मार दिया होता।’
ज्योतिश, पत्नी लिजा और बेटी के साथ शनिवार को अपने दोस्त के लिए तोहफा खरीदने गए थे। उनके साथ एक पारिवारिक मित्र की पत्नी भी थीं। चारों तोहफा खरीद ही रहे थे तभी पूरे मॉल में चीख-पुकार शुरू हो गई। शुरूआत में उन्हें लगा कि मॉल में आग लग गई है लेकिन बाद में उन्होंने गोलियां चलने और लोगों के भागने की आवाजें सुनीं। इन घटनाओं के बीच एक सुरक्षाकर्मी वहां खरीददारी कर रहे ज्योतिश और अन्य ग्राहकों के पास आया उन्हें चुप रहने को कहा। फिर वह सभी ग्राहकों को पास के अंधेरे भंडारगृह में ले गया और दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया।

उस बंद कमरे में सभी ने गोलियां चलने और हथगोलों के फटने की आवाजें सुनीं, लेकिन सभी अपनी सांसें रोके चुपचाप उस अंधेरे कमरे में बैठे रहे। करीब दो घंटे बाद सुरक्षाकर्मी ने आकर कमरे का दरवाजा खोला और हमलावरों से छुपते-छुपाते सभी को मॉल के भीतर बने दूसरे रास्ते से बाहर निकाला। ज्योतिश का घर मॉल से करीब 300 मीटर की दूरी पर है। ऐसे में वह और उनका परिवार अकसर हर छोटी-बड़ी खरीददारी के लिए वहीं जाता है। उन्होंने कहा कि संभव है सुरक्षाकर्मी इस वजह से उन्हें पहचानता हो।
ज्योतिश के ससुर मुरलीधरन उन्निथन ने कहा, ‘मेरे दामाद, बेटी लिजा और आठ वर्ष की नातिन निरंजना की जान बचाने के लिए हम भगवान को धन्यवाद देते हैं।’ ज्योतिश नैरोबी में एक निजी कंपनी में प्रबंधक के पद पर काम करते हैं। उन्निथन ने बताया, ‘टीवी पर आतंकवादी हमले की सूचना देखते ही मैंने ज्योतिश को फोन किया.. लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला। कई घंटे बाद मेरी उनसे फोन पर बात हुई, तब जाकर मुझे शांति मिली। उस वक्त भी वह सिर्फ इतना ही कह सके कि सभी सुरक्षित हैं। वह अगले दिन ही पूरा घटनाक्रम बता सके।’ कीनिया के इस शॉपिंग मॉल में हुए हमले में 60 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। (एजेंसी)

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