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मुंबई : किसी की भी निर्वस्त्र पेंटिंग बनाने को प्रथम दृष्टया अपराध मानते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने एक कलाकार के खिलाफ दर्ज आपराधिक शिकायत खारिज करने से मना कर दिया। इस कलाकार ने अपनी तलाकशुदा पत्नी की निर्वस्त्र एवं आपत्तिजनक तस्वीरें बनाई थीं।
इस जोड़े ने 1998 में विवाह किया था और संयुक्त रूप से एक फ्लैट खरीदा था। अब एक परिवार अदालत में इनके बीच तलाक का मामला चल रहा है जिसकी वजह से दोनों सांताक्रूज उपनगर में जुहू तारा रोड पर स्थित अपने संयुक्त फ्लैट ‘मित्तल ओशन व्यू’ में अलग अलग कमरों में रह रहे हैं।
पत्नी ने अपने कलाकार पति चिंतन उपाध्याय पर अपनी आपत्तिजनक तस्वीरें बनाने के लिए ‘महिलाओं का आपत्तिजनक चित्रण (निरोधक) कानून’ (इन्डिसेन्ट रिप्रेजेन्टेशन ऑफ वूमन प्रोहिबिशन एक्ट) के तहत आरोप लगाया है।
उसकी शिकायत पर बांद्रा मजिस्ट्रेट ने आठ जनवरी को उपाध्याय के खिलाफ प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया जिसे उपाध्याय ने उच्च अदालत में चुनौती दी।
उच्च न्यायालय उपाध्याय के इस तर्क से सहमत नहीं हुआ कि शिकायत की प्रकृति ऐसी नहीं है जिससे उसका काम भारतीय दंड संहिता अथवा महिलाओं का आपत्तिजनक चित्रण (निरोधक) कानून के प्रावधानों के उल्लंघन के दायरे में आए या उसके खिलाफ कानून के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई जारी रहे।
न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी ने कहा कि इस आधार पर ही शिकायत को दरकिनार नहीं किया जा सकता कि कलाकार का काम एक निजी क्षेत्र तक या निजी कक्ष तक सीमित है और उससे बाहर नहीं जा रहा। उन्होंने कहा कि मकान या कमरे पूरी तरह दो हिस्सों में नहीं बंटे हैं और वह तथा उसकी पत्नी अलग अलग कमरों में रह रहे हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता के पास अपने खुद के शयनकक्ष में पेंटिंग करने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने चित्रकार की याचिका खारिज करते हुए यह भी कहा कि आरोपों से साफ है कि कमरे में नौकर नौकरानी और ड्राइवर आते हैं और वह भी पेंटिंग देख सकते हैं।
उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि इस मामले में और प्रक्रिया शुरू करने के लिए दी गई व्यवस्था प्रथम दृष्टया है और इससे फैसला सुनाते समय निचली अदालत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। (एजेंसी)