1993 मुंबई बमकांड: जेबुन्निसा, पारकर का आत्मसमर्पण

शरीफ दादा पारकर और जेबुन्निसा काजी ने आज विशेष टाडा अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। मुंबई के 1993 के बमकांड मामले में उच्चतम न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था।

मुंबई : शरीफ दादा पारकर और जेबुन्निसा काजी ने आज विशेष टाडा अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। मुंबई के 1993 के बमकांड मामले में उच्चतम न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। 80 साल से अधिक उम्र के पारकर को बायकुला में एक अस्पताल से स्ट्रेचर पर अदालत लाया गया जबकि कैंसर से पीड़ित जेबुन्निसा व्हील चेयर पर आईं। उन्हें 17 मई को आत्मसमर्पण करना था लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण ऐसा नहीं कर सकीं थी।
जहां पारकर को गत गुरुवार को सीने में दर्द के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था वहीं जेबुन्निसा को कुछ चिकित्सीय जांच कराने की सलाह दी गई थी। न्यायाधीश जी ए सनाप ने पारकर को जब स्ट्रेचर पर देखा तो उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें कुछ क्षण के लिए बाहर ले जाया जा सकता है ताकि वह ताजा हवा में सांस ले सकें। न्यायाधीश ने उसके बाद अदालत के कर्मचारी और पुलिस से दोनों को हिरासत में लेने और उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया ताकि वे अपनी शेष कारावास की सजा काट सकें। अभिनेता संजय दत्त पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं। उनके लिए उच्चतम न्यायालय ने 16 मई की समय सीमा निर्धारित की थी।
इससे पहले, पारकर और काजी ने चिकित्सीय आधार पर आत्मसमर्पण करने के लिए और समय मांगा था। टाडा अदालत ने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिये थे कि वह उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समय-सीमा के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकती। टाडा अदालत ने 17 मई को गैर जमानती वारंट भी जारी किया लेकिन उसपर तामील नहीं हो सका।
पारकर को टाडा अदालत ने 1993 के सिलसिलेवार धमाकों से पहले रायगढ़ जिले में हथियार और आरडीएक्स को उतारने और साजिश के लिए एक बैठक की व्यवस्था करने में भूमिका के लिए दोषी ठहराया था। काजी को अपने घर पर कुछ समय के लिए एक सह आरोपी को कुछ हथियार रखने की अनुमति देने के लिए दोषी ठहराया गया था। ये हथियार उस जखीरे का हिस्सा थे जो विस्फोटों से पहले लाए गए थे।
जहां पारकर को आजीवन कारावास की सजा काटनी है वहीं काजी को पांच साल के कारावास (संजय दत्त के बराबर) की सजा काटनी है। जेबुन्निसा की बेटी शगुफ्ता ने दक्षिण मुंबई में अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि जहां अपराध के मुख्य षड्यंत्रकारी फरार हैं वहीं उनकी मां को दंडित किया जा रहा है।
शगुफ्ता ने कहा कि उसकी मां बीमार है और जानलेवा बीमारी से ग्रस्त है और वह समाज के लिए खतरा नहीं है। उन्होंने सरकार से काजी के माफी आवेदन पर यथाशीघ्र फैसला करने का अनुरोध किया। अदालत सूत्रों ने बताया कि पारकर को पहले यहां आर्थर रोड सेंट्रल जेल ले जाया जाएगा और चिकित्सीय जांच के बाद फैसला किया जाएगा कि क्या वह जेल में रखने के लिए स्वस्थ हैं या उन्हें अस्पताल ले जाया जाना चाहिए। (एजेंसी)

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