प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में कारगर ‘पिनहोल’ सर्जरी

स्थानीय मेदांता कैंसर संस्थान के डॉक्टरों को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली जब उन्होंने प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों की ‘पिनहोल’ सर्जरी का प्रयोग किया। प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरण के मरीजों के इलाज के लिए भारत में पहली दफा स्थायी ‘सीड इम्प्लान्ट सर्जरी’ यानी ‘पिनहोल’ सर्जरी इस्तेमाल में लायी गयी है।

गुड़गांव : स्थानीय मेदांता कैंसर संस्थान के डॉक्टरों को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली जब उन्होंने प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों की ‘पिनहोल’ सर्जरी का प्रयोग किया। प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरण के मरीजों के इलाज के लिए भारत में पहली दफा स्थायी ‘सीड इम्प्लान्ट सर्जरी’ यानी ‘पिनहोल’ सर्जरी इस्तेमाल में लायी गयी है।
अस्पताल की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘पिनहोल’ सर्जरी में रेडियोसक्रिय आयोडीन-125 के बीज स्थायी तौर पर डाल दिए जाते हैं। इनकी तीव्रता कम होती है और मरीजों के परिजन को इससे कोई खतरा नहीं होता। ये बीज 10 महीने के बाद जैविक तौर पर निष्क्रिय हो जाते हैं।
मेदांता कैंसर संस्थान के डिवीजन ऑफ रेडिएशन ऑंकोलोजी के अध्यक्ष डॉ. तेजेन्द्र कटारिया ने बताया, ‘इस ‘पिनहोल’ प्रक्रिया को ‘लो डोज रेट ब्रैकिथेरेपी’ या ‘पर्मानेंट ब्रैकिथेरेपी’ कहते हैं। इसमें ऐसे इम्प्लान्ट का इस्तेमाल किया जाता है जिनका आकार चावल के दाने के बराबर होता है और पतली खोखली सुई की मदद से सीधे ट्यूमर में डाल दिया जाता है।’
कटारिया ने कहा कि विकिरण के एकदम खत्म हो जाने के बाद ये इम्प्लान्ट वहीं छोड़ दिए जाते हैं और आकार में बहुत छोटा होने के कारण मरीज को इससे असहजता महसूस नहीं होती और यदि होती भी है बहुत कम।
उन्होंने कहा कि प्रोस्टेट कैंसर के इलाज की दिशा में भारत में यह कदम पहले कभी नहीं उठाया गया। इस प्रयास में मेदांता कैंसर संस्थान ने बाजी मारी है। (एजेंसी)

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