महंगाई पर चिंतित RBI ने 0.25% रेपो रेट बढ़ाई, महंगा होगा लोन

महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक की चिंता बरकरार है। केन्द्रीय बैंक ने महंगाई पर अंकुश लगाने के लिये प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर दी जिससे बैंकों का पैसा महंगा होगा।

मुंबई : महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक की चिंता बरकरार है। केन्द्रीय बैंक ने महंगाई पर अंकुश लगाने के लिये प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर दी जिससे बैंकों का पैसा महंगा होगा। रिजर्व बैंक के इस कदम से वाणिज्यिक बैंकों से आवास, वाहन और कंपनियों के लिए कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ सकती हैं।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने गत 4 सितंबर को पद संभालने के बाद आज पहली तिमाही अवधि की पूर्ण मौद्रिक समीक्षा की। उन्होंने रिजर्व बैंक से अल्पकालिक जरूरत के कर्ज की रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत कर दिया। दूसरी तरफ बैंकों की अतिरिक्त जरूरतों को पूरा करने के लिये नकदी की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 8.75 प्रतिशत कर दिया। राजन ने इसके साथ ही डालर के मुकाबले रपये की विनिमय दर में स्थिरता लाने के लिये उठाये गये सख्त कदमों को वापस खींचने का अपना वादा पूरा कर किया है।
वर्ष की मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा करते हुये रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2013-14) के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 5.5 प्रतिशत से कम करके 5 प्रतिशत कर दिया। बैंक ने वर्ष की शुरआत में साल के लिये 5.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। जुलाई में इसे कम करके 5.5 प्रतिशत किया गया। वर्ष 2012-13 में देश की आर्थिक वृद्धि एक दशक के निम्न स्तर 5 प्रतिशत पर आ गई थी।
राजन ने बाद में संवाददाताओं को संबोधित करते हुये कहा, यदि मुद्रास्फीति के हमारे अनुमान और वास्तविक आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते हैं तो हम आगे और कदम उठाने को प्रेरित होंगे। राजन ने नीतिगत उपायों की वजह बताते हुये कहा, यह कमजोर आर्थिक वृद्धि की मौजूदा स्थिति में बढ़ते मुद्रास्फीतिक दबाव को कम करने और मुद्रास्फीतिकारी प्रत्याशाओं को व्यवस्थित करने के लिये किया गया है। उन्होंने आशंका जताई कि आने वाले महीनों में थोक मूल्य और खुदरा मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर लगातार उच्चस्तर पर बने रहने की आशंका है। इसके लिये उपयुक्त नीतिगत पहल की आवश्यकता है।
राजन ने कहा कि उसके इस कदम से वृहदआर्थिक और वित्तीय स्थिरता के साथ साथ आर्थिक वृद्धि परिवेश मजबूत होगा। रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि के मामले में बदलते परिवेश और मुद्रास्फीति जोखिम की नजदीकी से निगरानी करता रहेगा। रिजर्व बैंक द्वारा सितंबर के बाद से दूसरी बार रेपो दर बढ़ाने के फैसले से बैंकों के लिये नकदी लेना और महंगा होगा और इससे व्यक्तिगत तथा कारोबारी कर्ज और महंगा होगा।
भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरंधती भट्टाचार्या ने कहा, इस बारे में कोई भी फैसला संपत्ति देनदारी समिति (अल्को) की बैठक में लिया जायेगा। लेकिन, हां, दरों में कुछ बदलाव हो सकता है। यह किस तरह से और क्या होगा, इसके लिये अल्को समिति की बैठक का इंतजार करना हेागा। फिलहाल, ज्यादातर बैंकों ने त्योहारों के इस मौसम में आवास, वाहन और टिकाउ उपभोक्ता सामान के लिये कर्ज पर ब्याज दरों में क्रमश: 0.25 से लेकर एक प्रतिशत, 0.5 से लेकर 3.25 प्रतिशत और 0.1 से लेकर 5.75 प्रतिशत रियायत की पेशकश की है। सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों ने 31 जनवरी तक के लिये प्रसंस्करण शुल्क में भी काफी रियायत की पेशकश की है।

रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को मूल्य सूचकांक के लिये सबसे बड़ा खतरा बताया और कहा कि यह 9 प्रतिशत से उपर बना रहेगी। सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 9.84 प्रतिशत रही जबकि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में 6.46 प्रतिशत हो गई। अगस्त में ये क्रमश: 9.52 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत पर थीं। रिजर्व बैंक ने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात :सीआरआर: को 4 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है। बैंकों के सांविधिक तरलता अनुपात :एसएलआर: को भी 23 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। बैंकिंग तंत्र में नकदी की उपलब्धता बढ़ाने के लिये रिजर्व बैंक ने सात और 14 दिन की रेपो सुविधा के तहत भी बैंकों को उनकी कुल नकदी के 0.50 प्रतिशत तक उधार की सुविधा देने का भी ऐलान किया है।
रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत करने के बाद रिवर्स रेपो दर इससे एक प्रतिशत कम 6.75 प्रतिशत हो गई। एमएसएफ दर 0.25 प्रतिशत कम करने के बाद यह रेपो से एक प्रतिशत उपर 8.75 प्रतिशत पर आ गई। राजन ने गत 20 सितंबर को जारी मध्य तिमाही समीक्षा में इनके बीच के अंतर को पूर्व प्रचलित एक प्रतिशत पर लाने का वादा किया था। नई दरें तुरंत प्रभाव से लागू हो गईं। एमएसएफ दर के 8.75 प्रतिशत पर आने के साथ ही बैंक दर भी इसी स्तर पर आ गई।
रिजर्व बैंक ने कहा, इस साल अच्छे मानसून का खाद्य मुद्रास्फीति पर अनुकूल असर पड़ना चाहिये, लेकिन पहले ही उंची खाद्य मुद्रास्फीति और ईंधन मुद्रास्फीति पर दूसरे दौर का प्रभाव पड़ने से दूसरी वस्तुओं और सेवाओं के दाम भी बढ़ सकते हैं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने हालांकि, रिजर्व बैंक के अनुमान से असहमति जताते हुये कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) उतने उंचे नहीं होंगे जितना रिजर्व बैंक ने अनुमान व्यक्त किया है।
रंगराजन ने कहा, मेरा मानना है कि डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति 5.5 से 6 प्रतिशत रहेगी, मुझे नहीं लगता कि यह 6 प्रतिशत से अधिक होगी। सीपीआई मुद्रास्फीति उससे कुछ कम होगी जितना अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति 9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
उद्योग जगत ने दो महीने में दूसरी बार रेपो दर वृद्धि पर निराशा जताई है। उद्योगों ने कहा है कि इससे कर्ज और महंगा होगा और निवेश तथा आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उद्योगों का कहना है कि देश में उंची मुद्रास्फीति आपूर्ति की कमी की वजह है। ब्याज दरें बढ़ाने से इसपर ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।
रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही उपभोक्ताओं के फायदे के लिये कुछ अन्य घोषणायें भी कीं हैं। बैंकों से कहा गया है कि वह बचत और सावधि खाते पर सीमित अवधि में जल्दी जल्दी ब्याज का भुगतान करें। वर्तमान में बेंक इन खातों पर तिमाही अथवा इससे ज्यादा समय में ब्याज का भुगतान करते हैं।
इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने बैंकों से यह भी कहा है कि वह ग्राहकों को भेजे जाने वाले एसएमएस संदेश पर शुल्क वास्तविक उपयोग के आधार पर लेने को कहा है। बैंक इसके लिये अब तक सालाना आधार पर निश्चित शुल्क लेते रहे हैं। (एजेंसी)

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