धनी देशों को उभरते बाजारों का भी ध्यान रखना चाहिए: राजन

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति तैयार करते समय उभरते देशों का ध्यान रखना चाहिए।

सिडनी : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति तैयार करते समय उभरते देशों का ध्यान रखना चाहिए। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत वैश्विक हालात में उतार चढाव का मुकबला करने की अच्छी स्थिति में है।
अमेरिका जैसे विकसित देशों को अपने मौद्रिक प्रोत्साहनों को वापस लिए जाने की प्रक्रिया में दूसरे देखों के लिए संभावित जोखिमों का ध्यान रखने की जरूरत के संदर्भ में कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हम यह कहते हुए आगे बढ़ सकते हैं कि हर कोई अपने जहाज में है और वे डूबे या तैरे, उन्हें अकेले करना है।’’
अखबार ‘आस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू’ को दिये साक्षात्कार में राजन ने कहा कि हालांकि भारत समस्याओं से पार पाने में पूरी तरह सक्षम है लेकिन विकसित देशों को अपनी मौद्रिक नीतियों के संदर्भ में किये गये फैसलों को अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए और चीजें असंतुलित होती हैं तो हमें कदम उठाने के लिये तैयार रहना चाहिए। दो दिन के जी-20 सम्मेलन के समापन पर समूह के वित्त मंत्रियों तथा तथा केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने यह माना कि कई विकसित देशों में मौद्रिक नीति को उदार बनाये रखने की जरूरत है और उपयुक्त समय पर उसे सामान्य बनाना चाहिए।
भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने अमेरिका से मौद्रिक नीति के मामले में ऐसा रख अपनाने को कहा है जिसका अंदाजा लगाना अधिक आसान हो। अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक के बांड खरीद कार्यक्रम में नरमी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी बाहर जा रही है और इससे उनकी मुद्राओं पर असर पड़ रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अर्थव्यवस्था में सुधार को देखते हुए मासिक बांड खरीद कार्यक्रम 20 अरब डालर घटाकर 65 अरब डालर कर दिया है। प्रोत्साहन उपायों में कमी से उभरते बाजारों से पूंजी प्रवाह और फलस्वरूप उनकी मुद्राओं पर असर पड़ सकता है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘..जब दूसरे देश प्रोत्साहन उपायों को वापस लेते हैं उन्हें उसका विकासशील देशों पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए।’’ आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘सभी केंद्रीय बैंक अपनी यह प्रतिबद्धता बनाये रखेंगे कि मौद्रिक नीति का निर्धारण मौजूदा सूचना के आदान-प्रदान तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखकर सावधानीपूर्वक किया जाएगा..।’’ (एजेंसी)

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