निराश करती है फिल्म `R...Rajkumar`

बॉलीवुड में हर साल तकरीबन एक चौथाई ऐसी फिल्में होती है जिन्हें देखकर आप कह सकते हैं कि ये फिल्म क्यूं बनी।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: बॉलीवुड में हर साल तकरीबन एक चौथाई ऐसी फिल्में होती है जिन्हें देखकर आप कह सकते हैं कि ये फिल्म क्यूं बनी। इन फिल्मों को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी। यकीनन ऐसी फिल्में बॉक्स ऑफिस औंधे मुंह गिरती है। आर...राजकुमार एक ऐसी फिल्म है जिसमें रोमांस,कॉमेडी और एक्शन का पेचीदा घालमेल है। फिल्म कहां से शुरू होती है किस दिशा में जा रही है, यह बात समझ से परे है।
कोरियोग्राफर प्रभुदेवा ने वांटेड फिल्म से बॉलीवुड में निर्देशन की पारी की शुरुआत की थी। इस फिल्म में उन्हें सराहा गया था। लेकिन अब उनका जादू खत्म हो रहा है। क्योंकि इस फिल्म में वह कुछ भी कर पाने में नाकाम रहे हैं। दूसरी तरफ शाहिद कपूर के सितारे कब नाकामी से बाहर आएंगे कहां नहीं जा सकता है। उनकी फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो भी फ्लॉप रही थी और यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास करने का माद्दा नहीं रखती है। शाहिद हर फिल्म में सुपर फ्लॉप साबित होते चले जा रहे हैं। फिल्म में यह बात हर जगह खटकती है कि रोमांस और कॉमेडी के बीच भला इतने वायलेंस की जरूरत क्या थी।
फिल्म की कहानी कुछ यूं है। फिल्‍म में रोमियो राजकुमार (शाहिद कपूर) और चंदा (सोनाक्षी सिन्हा) की प्रेम कहानी है। राजकुमार एकदम टपोरी छाप लड़का है। लड़की को पटाने के लिए छिछोरी हरकत करता रहता है। राजकुमार माफिया के साथ काम करता है। माफिया भी उसकी बंदी से प्यार करने लगता है और फिर प्यार की खातिर जंग। फिर तो इतना लाउड वायलेंट एक्शन और वायलेंस है जो शायद ही आपको पसंद आए। इस वायलेंस ने फिल्म के हिस्से से प्यार और हास्य के रंग छीन लिए है।
प्रभुदेवा ने शाहिद कपूर को उन्होंने एक्शन हीरो की छवि दी है। भोले दिखने वाले शाहिद कपूर को खूंटी दाढ़ी देकर रफ-टफ बनाया गया है। एक्शन के साथ डांस का भड़कदार तड़का है। फिल्म में थोड़ा प्यार और बहुत ज्यादा मार है। यह समझना मुश्किल है कि फिल्म की पटकथा और उससे जुड़े सींस का औचित्य क्या है। क्योंकि फिल्म का प्रेजेंटेशन इसके मूल को भटकाता है। यही वजह है कि फिल्म गडमड होकर रह गई है।
फिल्म का हीरो अलग-अलग दृश्यों में `सायलेंट हो जा नहीं तो वॉयलेंट हो जाऊंगा` दोहराता है। लेकिन इसमें कोई नयापन नहीं दिखता है। कई खामियों के बावजूद इस फिल्म में शाहिद कपूर और सोनाक्षी अपनी भूमिका में खरे रहे हैं। फिल्म का गाना साड़ी के फाल से ...का फिल्मांकन अच्छा है जो पहले ही दर्शकों के जुबान चढ़ चुका है। शाहिद कपूर और सोनाक्षी सिन्हा का झूमना फिल्म के वॉयलेंस की फील को थोड़ा कम करता है।
कुल मिलाकर फिल्म देखने लायक तो कतई नहीं है लेकिन अगर आप शाहिद और सोनाक्षी के फैन है तो फिल्म एक बार देखी जा सकती है।

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