राहुल गांधी ने लोकपाल पर दिया जोर, बाकी दलों से मांगा समर्थन

लोकपाल विधेयक की जोरदार वकालत करते हुए राहुल गांधी ने आज सभी राजनीतिक दलों से मतभेदों को एक ओर रखकर भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए इस विधेयक को पारित कराने की अपील की और इस बात को खारिज किया कि दिल्ली चुनाव में मिली करारी हार और अन्ना हजारे का अनशन सरकार को इस दिशा में बढने को बाध्य कर रहा है।

ज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी
नई दिल्ली : लोकपाल विधेयक की जोरदार वकालत करते हुए राहुल गांधी ने आज सभी राजनीतिक दलों से मतभेदों को एक ओर रखकर भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए इस विधेयक को पारित कराने की अपील की और इस बात को खारिज किया कि दिल्ली चुनाव में मिली करारी हार और अन्ना हजारे का अनशन सरकार को इस दिशा में बढने को बाध्य कर रहा है। कानून मंत्री कपिल सिब्बल और वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के साथ राहुल गांधी ने आज यहां कांग्रेस मुख्यालय में एक विशेष संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ इसे एक अत्यंत महत्वूपर्ण विधेयक बताते हुए इसे पारित कराने के लिए राजनीतिक दलों से अपने मतभेदों को एक किनारे रखने की जोरदार वकालत की।
लोकपाल विधेयक पर सोमवार को राज्य सभा में चर्चा की संभावना के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, हमारा काम इस देश को एक मजबूत लोकपाल विधेयक देना है। हम 99 प्रतिशत तक पहुंच चुके हैं और अब हमें राजनीतिक दलों से बाकी एक प्रतिशत की जरूरत है तब हम वाकई में लोकपाल का काम पूरा कर सकते हैं। इस विधेयक पर समाजवादी पार्टी के विरोध का अप्रत्यक्ष रूप से उल्लेख करते हुए राहुल ने कहा कि सभी दलों को मिलकर इस विधेयक को निष्पादित करना चाहिए। मैं सभी दलों से इस विधेयक को समर्थन देने की अपील करता हूं, यह राष्ट्रीय हित में है।
यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली के चुनाव में मिली पराजय और अन्ना हजारे के अनशन के कारण सरकार अचानक इस विधेयक को आगे बढा रही है, राहुल ने कहा, ऐसा नहीं है, हमने इसके लिए संघर्ष किया है लेकिन हर समय संसद में व्यवधान बना। यह भ्रष्टाचार से निपटने के लिए है और यह आरटीआई की तरह भ्रष्टाचार से निपटने का एक गंभीर हथियार है। राहुल गांधी ने कहा कि यह एक अत्यंत महत्वूपर्ण विधेयक है और यह भ्रष्टाचार से निपटने के उस व्यापक ढांचे का एक हिस्सा है, जिसका फिलहाल अकेला बड़ा हथियार आरटीआई है।
यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली के चुनाव में मिली पराजय और अन्ना हजारे के अनशन के कारण सरकार की अचानक इस विधेयक में रूचि बनी है, राहुल ने कहा, यह जीत और हार का सवाल नहीं है। इस विधेयक की जरूरत है। यह विधेयक हिन्दुस्तान को मदद करेगा। यह तर्क कि हम चुनाव परिणामों के कारण ऐसा कर रहे हैं उचित नहीं है। इस सवाल पर कि क्या अन्ना हजारे सरकार के प्रयासों से संतुष्ट होंगे, कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि हमारा इरादा भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ढांचा खड़ा करने का है। हम ऐसा करते रहेंगे। हजारे अनशन पर हैं, यह उनका विचार है।
प्रवर समिति द्वारा विचार किये जाने के बाद लोकपाल विधेयक संशोधित रूप में विचार के लिए एक बार फिर कल राज्यसभा में पेश किया गया लेकिन समाजवादी पार्टी सदस्यों के हंगामे के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। राहुल गांधी ने कहा, हमें अपने मामूली मतभेदों को भुला कर, एकजुट होकर राष्ट्रीय हित में इस विधेयक को अंजाम तक पहुंचाना चाहिए। विधेयक पर समाजवादी पार्टी के विरोध के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा,यह संभव है, विधेयक पर एक या दो दलों को आपत्तियां हो सकती हैं। मैं नहीं समझता कि कोई दल ऐसा है जो यह कह सकता है या कहेगा कि हमें लोकपाल नहीं चाहिए। ऐसा किसी दल ने नहीं कहा है। उनकी आपत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि हमारी उनसे अपील है कि वे अपनी अपत्तियों को एक किनारे रख दें। हम अंतिम पायदान को पार करना चाहते हैं और इसे कानून का रूप देना चाहते हैं। मैं समझता हूं कि देश को एक लोकपाल की जरूरत है और अगर राजनीतिक दल अपनी आपत्तियां छोड़ दें तो हमारे पास इसी सत्र में लोकपाल होगा।
चिदम्बरम ने कहा कि सरकार ने लोकपाल विधेयक पर प्रवर समिति की रिपोर्ट में सिर्फ दो तीन बदलाव किये हैं और कार्मिक राज्य मंत्री ने मूल विधेयक पर सरकारी संशोधन पेश किये हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक में ऐसा कुछ नहीं है जो लोकपाल की शक्ति को कम करता हो। यह एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को शक्ति प्रदान करता है। साथ ही यह सरकार, सरकार के कर्मचारियों और जांच एजेंसियों के हितों को संतुलित करता है। कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि हमारी मंशा बहुत साफ है। संप्रग सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो कदम उठाये हैं वैसे किसी ने नहीं उठाए।

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