संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2002 से 2012 के बीच पांच साल से कम उम्र के अपंजीकृत बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या थी और सबसे अधिक बाल विवाह के मामले में देश दूसरे स्थान पर रहा। इसमें टीकाकरण का दायरा बढ़ाने और लिंग आधारित चयन को रोकने की जरूरत बतायी गयी है।
संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘इंप्रूविंग चिल्ड्रेन्स लाइव्स, ट्रांसफार्मिंग द फ्यूचर-25 इयर ऑफ चाइल्ड राइट्स इन साउथ एशिया’ में एक खास समयावधि में उन महत्वपूर्ण मुद्दों का आंकलन किया गया है जिसने क्षेत्र में बच्चों की जिंदगी को सीधे तौर पर प्रभावित किया। 7.1 करोड़ के साथ भारत में 2000-2012 के बीच पांच साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा मौजूद बच्चों का पंजीकरण नहीं हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में 2000 के बाद से जन्म पंजीकरण स्तर बढ़ा है लेकिन प्रगति काफी धीमी है। अफगानिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव के साथ भारत में जन्म पंजीकरण में ‘महत्वपूर्ण इजाफा’ हुआ है लेकिन क्षेत्र में करीब 10 करोड़ बच्चों का पंजीकरण अभी तक नहीं हो पाया है।
भारत में गरीब और अमीर परिवारों के बीच सबसे बड़ी असमानता है। अमीरों की तुलना में गरीब परिवार के बच्चों का पंजीकरण तीन गुणा कम होगा। धर्म भी एक भूमिका अदा करता है क्योंकि भारत में मुस्लिमों में जन्म पंजीकरण का निम्न स्तर (39 प्रतिशत) है। इसके बाद हिंदू (40 प्रतिशत) जबकि जैन (87 प्रतिशत) शीर्ष पर है। बाल विवाह की शीर्ष दर बांग्लादेश में है (जहां तीन लड़कियों में से दो की शादी 18 साल से पहले हो जाती है) इसके बाद भारत, नेपाल और अफगानिस्तान का नंबर है।
दक्षिण एशिया में सारी लड़कियों में से आधी की 18 साल से पहले शादी हो जाती है। पांच में से एक लड़की की 15 साल से पहले ही शादी हो जाती है। ये दुनिया में सर्वोच्च दर है। भारत में 2005-2013 के बीच 43 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र तक हो जाती है। 10 वर्ष तक की शिक्षा प्राप्त लड़कियों की तुलना में जिन लड़कियों को शिक्षा नहीं मिली है उनकी शादी होने की संभावना 5.5 गुणा ज्यादा रहती है।
रिपोर्ट कहता है कि लिंग-भेदभाव आधारित चयन देश के पश्चिम और उत्तरपश्चिमी हिस्से में ज्यादा व्याप्त है। भारत में बाल लिंगानुपात 0-4 उम्र के बीच 924 था। टीकाकरण दायरे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में कुछ देशों खासकर बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल ने 1990 के बाद से महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है लेकिन अफगानिस्तान, भारत और पाकिस्तान में यह दायरा अभी भी काफी कम है।
भारत में 2011 में 0-6 उम्र के बीच लड़कों की तुलना में 70 लाख लड़कियां कम थी। भारत में धनी परिवारों में जन्म पर लिंगानुपात अधिक है जबकि गरीब परिवारों में उच्च जन्म दर है तथा आधुनिक तकनीक तक कम पहुंच है।