सरकारी लोकपाल कमजोर, अन्ना के रूख से केजरीवाल को लगा धक्का

राज्यसभा में विचाराधीन लोकपाल विधेयक को ‘कमजोर’ और प्रभावहीन बताकर खारिज करते हुए आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसके पारित होने से कांग्रेस को छोड़कर किसी को इसका फायदा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि वह अन्ना के इस रूख से दुखी हैं कि लोकपाल विधेयक पारित होता है तो वह अपना अनशन तोड़ देंगे।

नई दिल्ली : राज्यसभा में विचाराधीन लोकपाल विधेयक को ‘कमजोर’ और प्रभावहीन बताकर खारिज करते हुए आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि इसके पारित होने से कांग्रेस को छोड़कर किसी को इसका फायदा नहीं मिलेगा और राहुल गांधी को इसके पारित होने का श्रेय दे दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वह अन्ना हजारे के इस रूख से दुखी हैं कि अगर ऊपरी सदन में विचाराधीन लोकपाल विधेयक पारित होता है तो वह अपना अनशन तोड़ देंगे। केजरीवाल ने चेताया कि प्रस्तावित कानून भ्रष्टाचार को नहीं रोक पाएगा लेकिन ‘भ्रष्टों के संरक्षण’ का काम जरूर करेगा।
केजरीवाल ने कहा कि किसी मंत्री के बारे में भूल जाइए, अगर यह विधेयक पारित हो गया तो चूहे को भी जेल की सजा नहीं होगी। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि अगले 10 साल में इस लोकपाल से एक भी दोषसिद्धि नही होगी। मैं इस बात से चिंतित हूं कि इस लोकपाल विधेयक से किसको फायदा मिलेगा। मुझे लगता है कि कांग्रेस को लाभ मिलेगा और इसके उपाध्यक्ष राहुल गांधी को इसके पारित होने का कुछ श्रेय दे दिया जाएगा।
उन्होंने दावा किया कि जब तक सीबीआई को स्वतंत्र नहीं बनाया जाता, जिसका इस विधेयक में प्रावधान नहीं है, तब तक भ्रष्टाचार के मामलों में एक भी दोषसिद्धि नहीं होगी। आप नेता ने कहा कि सीबीआई के 50 वषरें में, एजेंसी द्वारा केवल चार नेताओं की दोषसिद्धि हुई है। इसका कारण यह है कि वे जिनके खिलाफ जांच करते हैं उन्हीं राजनीतिक बास को रिपोर्ट करते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि अगर सीबीआई स्वतंत्र होती तो संभावना होती कि 2जी या कोयला घोटाले में प्रधानमंत्री को भी जेल हो सकती थी। पार्टी ने लोकपाल विधेयक को ‘कमजोर’ बताया और कहा कि यह भ्रष्टाचार को नहीं रोकेगा बल्कि ‘भ्रष्टों के संरक्षण’ का काम करेगा। विधेयक के वर्तमान स्वरूप की आलोचना करते हुए केजरीवाल ने कहा कि 11 अगस्त 2011 में पारित विधेयक में लोकपाल के लिए स्वतंत्र जांच मशीनरी का प्रावधान था।
उन्होंने कहा कि लेकिन आज, हम इस कमजोर लोकपाल को स्वीकार कैसे कर सकते हैं। हम जनलोकपाल के लिए अपना आंदोलन जारी रखेंगे और लोगों को यह बताएंगे कि संसद हजारे के अनशन टुड़वाने के लिए दिये गये तीन आश्वासनों को पूरा करने में नाकाम रही है।
लोकपाल विधेयक को एक बार पारित करने के बाद इसमें संशोधन करने के सुझावों पर केजरीवाल ने कहा कि जब वे किश्तों में भ्रष्टाचार नहीं करते तो वे कानून किश्तों में क्यों देना चाहते हैं? सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वे क्या सोचते हैं, यह रिटेल शाप है या क्या है? वे एक बार में कड़ा कानून क्यों नहीं लाते? दिल्ली में सरकार के गठन के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि वे 18 महत्वपूर्ण मुद्दों पर कांग्रेस और भाजपा के रूख का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह ‘आम सहमति की राजनीति’ करने की कोशिश कर रहे हैं और जिम्मेदारियों से नहीं भाग रहे हैं और इसलिए उन्होंने दोनों दलों का रूख पूछा है, जो उनकी सरकार को ‘समर्थन’ देने को तैयार हैं।
केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ने कहा है कि वे बिना शर्त समर्थन दे रहे हैं, जबकि भाजपा रचनात्मक समर्थन दे रही है। राजनीतिक स्थिति में, इसका मतलब यह हुआ कि हम आपको सरकार नहीं चलाने देंगे और राजनीतिक एवं प्रेम में कुछ भी बिना शर्त नहीं होता है, कुछ शर्तें होती हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीति खेलना बंद करना चाहिए और कुछ गंभीर काम करने चाहिए तथा अपना जवाब देना चाहिए। अगर तीन दल भाजपा, कांग्रेस और आप तैयार हैं तो सभी मुददे मिनटों में सुलझ जाएंगे।
आप नेता ने कहा कि वे दोनों दलों के जवाबों के साथ जनता के पास जाएंगे और हम इसे सार्वजनिक करेंगे और सार्वजनिक सभाओं में इसे रखेंगे और उनकी राय मांगेगे। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस और भाजपा से जवाब मिलने के बाद 270 नगर निगम वाडरें में सार्वजनिक सभाएं करेंगे। अगर लोग हमसे सरकार बनाने के लिए कहते हैं तो हम ऐसा करेंगे और दिखाएंगे कि सरकार कैसे चलती है। (एजेंसी)

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