मैं आरोपी तो प्रधानमंत्री हैं साजिशकर्ता : पीसी पारेख

पूर्व कोयला सचिव प्रकाश चंद्र पारिख का कहना है कि अगर सीबीआई को कोल ब्लॉक आवंटन में साजिश की बू आ रही है तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आरोपी नंबर वन बनाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही आवंटन को हरी झंडी दिखाई थी।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
हैदराबाद : पूर्व कोयला सचिव प्रकाश चंद्र पारेख का कहना है कि अगर सीबीआई को कोल ब्लॉक आवंटन में साजिश की बू आ रही है तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही आवंटन को हरी झंडी दिखाई थी। सीबीआई ने मंगलवार को पूर्व कोयला सचिव को मामले में आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज किया था।
कोल ब्लॉक के आवंटन में साजिश तथा भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने आज कहा कि इन मामलों में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का था और ऐसे में उन्हें भी ‘साजिशकर्ता’ समझा जाना चाहिए। उनके इस बयान के बाद भाजपा ने पूरे मामले की विस्तृत जांच की मांग की है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ओडिशा में आठ साल पहले दो कोयला खदानों के आवंटन में कथित अनियमितता के आरोप में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पीसी पारेख तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यहां सीबीआई अदालत में ताजा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एजेंसी की टीम ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद तथा भुवनेश्वर में करीब छह परिसरों की तलाशी ली। जिन परिसरों की तलाशी ली गयी है, उसमें हिंडालको के कार्यालय तथा हैदराबाद के सिकंदराबाद में पारेख का आवास शामिल हैं।
अपने खिलाफ आरोप को आधारहीन बताते हुए पारेख ने कहा कि उन्हें सरकार के निर्णय में कुछ भी गलती नहीं दिखती। पारेख ने कहा, ‘वास्तव में निर्णय लेने में कुछ भी गलत नहीं है। जो भी निर्णय किये गये वे निष्पक्ष तथा सही थे। मुझे नहीं पता कि आखिर सीबीआई को इसमें साजिश क्यों नजर आ रही है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई साजिश हुई है तब इसमें कई सदस्य शामिल हैं। इनमें केएम बिड़ला हैं जिन्होंने अर्जी लगाई थी। इसमें मैं भी हूं, जिसने मामले को देखा था और इसमें सिफारिश की थी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं जो उस समय कोयला मंत्रालय का जिम्मा था और जिन्होंने अंतिम निर्णय किया था, वह तीसरे साजिशकर्ता हुए।’
पीसी पारिख 1969 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस हैं। हैदराबाद में रहने वाले पारिख को कोलगेट के व्हिसलब्लोअर के रूप में माना जाता है लेकिन उन्हें आरोपी बनाए जाने से कोयला घोटाले पर करीब से नजर रखने वाले लोग हैरान हैं। पारिख मार्च 2004 में कोयला मंत्रालय में सचिव बने। दिसंबर 2005 में वह रिटायर हो गए। उनपर उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को फायदा पहुंचाने का आरोप है।
पारिख कोयला आवंटन पर बनी स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख भी थे। उन्होंने कोयला खदान का आवंटन नीलामी के जरिए कराने की बात कही थी। उन्होंने कैबिनेट को कोल एक्ट में संशोधन के लिए नोट भी भेजा था।

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