गैस कीमत को लेकर उच्चस्तरीय कैबिनेट बैठक आज

प्राकृतिक गैस की कीमतों को लेकर कैबिनेट की दूसरी उच्च स्तरीय बैठक आज (मंगलवार) हो सकती है। इससे पहले रविवार और सोमवार को शीर्ष स्तर पर गहन बातचीत हुई। सरकार गैस कीमतों में ऐसी वृद्धि करना चाहती है जो सबको स्वीकार्य हो और उससे उत्पादन कार्य को भी बढ़ावा मिले, पर उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़े।

गैस कीमत को लेकर उच्चस्तरीय कैबिनेट बैठक आज

ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली: प्राकृतिक गैस की कीमतों को लेकर कैबिनेट की दूसरी उच्च स्तरीय बैठक आज (मंगलवार) हो सकती है। इससे पहले रविवार और सोमवार को शीर्ष स्तर पर गहन बातचीत हुई। सरकार गैस कीमतों में ऐसी वृद्धि करना चाहती है जो सबको स्वीकार्य हो और उससे उत्पादन कार्य को भी बढ़ावा मिले, पर उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़े।

रंगराजन समिति के फॉर्मूले में बदलाव पर चर्चा को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली तथा पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान सोमवार को पीएमओ पहुंचे थे। दोनों ने इसी मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। रंगराजन समिति के फार्मूले के अनुसार गैस की कीमत बढ़कर 8.8 डॉलर प्रति यूनिट हो जाएगी जो फिलहाल 4.2 डॉलर है।

सूत्रों ने कहा कि नई सरकार पूर्व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा मंजूर रंगराजन कीमत फार्मूले में कुछ बदलाव पर विचार कर रही है। समिति के फार्मूले के अनुसार गैस के दाम निर्धारित होने से बिजली, यूरिया, सीएनजी तथा पाइप के जरिये घरों में जाने वाली रसोई गैस के दाम में तीव्र वृद्धि होगी।

नई सरकार जल्दी फैसला लेना चाहती है लेकिन वह यह नहीं चाहती है कि पहले से उंची महंगाई को और हवा मिले। वैसे भी मानसून सामान्य से कम रहने तथा इराक में हिंसा के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण कीमत बढ़ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार गैस की दर में प्रति डॉलर की वृद्धि से यूरिया उत्पादन लागत प्रति टन 1,370 रुपए बढ़ जाएगी। इसी तरह बिजली की उत्पादन लागत पर प्रति यूनिट 45 पैसे का असर पड़ेगा और सीएनजी 2.81 रुपये किलो तथा पाइप वाली रसोई गैस 1.89 रुपए प्रति घन मीटर महंगी हो जाएगी।

अगर रंगराजन समिति का फॉर्मूला बिना किसी बदलाव के लागू किया जाता है तो बिजली दरों में 2 रुपये प्रति यूनिट तथा सीएनजी के दाम दिल्ली में 12 रुपये किलो बढ़ जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इसमें फॉर्मूले में कुछ बदलाव कर संशोधित दर 7 डॉलर प्रति यूनिट (एमएमबीटीयू) या 7.5 डॉलर प्रति इकाई किए जाने का एक प्रस्ताव शामिल है।

इसके तहत इस फॉर्मूले में जापान में आयातित महंगी गैस को हटा दिया जाने का प्रस्ताव है क्योंकि इसका भारत के साथ कोई व्यवहारिक संबंध नहीं दिखता। उनका कहना है कि अगर यह फैसला लागू होता है तो उसी फॉर्मूले के तहत गैस की नई दर 8.4 डॉलर से घटकर 7-7.5 डॉलर प्रति इकाई तक बैठेगी।

एक और सुझाव में कहा गया है कि उंची कीमत केवल उस उत्पादन के लिए हो जो मौजूदा उत्पादन के अतिरिक्त हो या फिर नई दर उन गैस क्षेत्रों के उत्पादन पर ही लागू की जाए जो नई तेल खोज एवं लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) के तहत उत्पादन कर रहे हैं। इनमें बंगाल की खाड़ी में रिलायंस की केजी-डी6 परियोजना शामिल है।

इसका अर्थ है कि सरकारी कंपनी ओएनजीसी को गैस की बढ़ी हुई कीमत नहीं मिलेगी क्योंकि उसकी गैस उन क्षेत्रों से है जो नेल्प के पहले के आवंटित किए गए हैं। अगर सरकारी कंपनियों को संशोधित कीमत से अलग रखा जाता है तो सीएनजी और पाइप के जरिये मिलने वाली रसोई गैस के दाम में कोई वृद्धि नहीं होगी क्योंकि इनकी गैस ओएनजीसी के फील्डों से आती हैं। सूत्रों ने कहा कि दरों के बारे में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल कर सकता है।

रंगराजन फार्मूले में घरेलू गैस की कीमतों को अमेरिका और ब्रिटेन के गैस व्यापार केंद्रों में प्रचलित कीमत और जापान में आयातित गैस कीमत की औसत के आधार पर रखने का सुझाव दिया था। पिछली संप्रग सरकार ने पिछले साल दिसंबर में स्वीकार कर लिया था और उसे पहली अप्रैल से लागू किया जाना था। पिछली सरकार आम चुनावों की अधिसूचना के बीच इस निर्णय को लागू नहीं कर सकी थी। हालांकि पुरानी कीमत 4.2 डॉलर प्रति यूनिट 31 मार्च को ही समाप्त हो गई और नई दर एक जुलाई से लागू होनी है। सूत्रों ने कहा कि सरकार समयसीमा चूकना नहीं चाहती।
(एजेंसी इनपुट से साथ) 

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