साईं प्रकरण पर उमा-शंकराचार्य में तेज हुई जुबानी जंग, संतों ने की बर्खास्तगी की मांग

धर्म और राजनीति के बीच जंग तेज हो गई है। द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा साईं की पूजा का विरोध करने के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

साईं प्रकरण पर उमा-शंकराचार्य में तेज हुई जुबानी जंग, संतों ने की बर्खास्तगी की मांग

ज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : धर्म और राजनीति के बीच जंग तेज हो गई है। द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा साईं की पूजा का विरोध करने के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब केंद्रीय मंत्री उमा भारती द्वारा साईं पूजा का समर्थन करने के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उन पर भी हमला बोला है। शंकराचार्य ने कहा है कि उमा भारती इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करें और धार्मिक भावनाओं में दखलंदाजी देना बंद करें। स्‍वरूपानंद सरस्‍वती ने इस मुद्दे पर हरिद्वार में संतों की बैठक बुलाई जिसमें संतों ने उमा को कैबिनेट से बर्खास्त किए जाने की मांग की।

इस सिलसिले में शंकराचार्य समर्थकों ने रविवार को हरिद्वार में बैठक भी की। बैठक में संतों ने मांग की कि उमा भारती को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए।
 
शंकराचार्य ने कहा, 'उमा भारती साईं की पूजा का समर्थन कर दबाब की राजनीति कर रही हैं। उमा मंत्री हैं, भगवान नहीं। उन्हें जनता ने शासन करने के लिए चुना है और वो धार्मिक व्यवस्थाओं में दखल नहीं दें।' शंकराचार्य ने उमा भारती की गुरु भक्ति को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया। उन्‍होंने कहा, 'उमा ने जिन गुरु स्वामी विश्वेश तीर्थ से संन्यास की दीक्षा ली है, उन्होंने हमारी बात का सर्मथन किया है। सनातन पंरपरा में संन्यासी गुरु भक्त होता है तो उमा कैसी संन्यासिनी हैं जो अपने गुरु के खिलाफ जा रही हैं।'

शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म में आचार्य धार्मिक व्यवस्थाओं को देखते हैं और उमा बताएं कि कौन सा आचार्य कह रहा है कि साईं की पूजा करना उचित है। मालूम हो कि शनिवार को उमा भारती ने कहा था कि वह शंकराचार्य के खिलाफ तो कुछ नहीं कह सकती हैं, लेकिन वह खुद साईं की पूजा करती हैं। उमा ने कहा था, 'साईं बाबा ने कभी घोषित नहीं किया कि मैं भगवान हूं। भक्तों ने कभी नहीं कहा कि उन्हें अवतार घोषित करो। उन्होंने तो केवल इतना कहा कि हम साईं को भगवान मानते हैं। अब किसी की आस्था है तो हम तो अपने मां-बाप, अतिथि और गुरु को भी भगवान मानते हैं। कितने लोगों ने साईं के दरबार पर मत्था टेका है और उनके संकट दूर हुए हैं।'
 
उल्लेखनीय है कि स्‍वरूपानंद सरस्‍वती ने कुछ दिनों पहले यह कहकर विवाद पैदा कर दिया था कि साईं बाबा की पूजा करना गलत है। उन्‍होंने साईं बाबा को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मानने से भी इनकार किया था। उन्‍होंने कहा था कि अगर ऐसा होता तो साईं बाबा को मुसलमान भी मानते, लेकिन उन्‍हें केवल हिंदू ही मानते हैं। सरस्‍वती ने कहा था कि साईं बाबा न भगवान हैं और न ही गुरु और उनकी पूजा हिंदू धर्म को बांटने की साजिश है। उन्‍होंने यह भी कहा था कि साईं बाबा के नाम पर कमाई की जा रही है।

 

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