जस्टिस गांगुली पर पद छोड़ने का दबाव, बोले-अभी फैसला नहीं किया

पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख का पद छोड़ने के लिए दबाव बढ़ जाने के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली ने मंगलवार को कहा कि भावी कार्रवाई को लेकर उन्होंने अभी फैसला नहीं किया है।

कोलकाता/नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख का पद छोड़ने के लिए दबाव बढ़ जाने के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली ने मंगलवार को कहा कि भावी कार्रवाई को लेकर उन्होंने अभी फैसला नहीं किया है।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली ने कोलकाता में कहा कि मैंने फैसला नहीं किया है। मैं अनिश्चय की स्थिति में हूं। पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के तौर पर इस्तीफे की मांग के मद्देनजर भावी कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसके बारे में सोचने का समय नहीं आया है।
गांगुली पर एक युवा लॉ इंटर्न ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। गांगुली को पद छोड़ना चाहिए या नहीं इस मुद्दे पर बढ़ती बहस के बीच पूर्व प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर और जाने-माने वकील सोली सोराबजी का न्यायमूर्ति गांगुली को समर्थन मिला है। गांगुली ने अपने खिलाफ लगे आरोप का जोरदार खंडन किया है।
भाजपा नेता सुषमा स्वराज भी गांगुली के इस्तीफे की मांग करने वालों में शामिल हो गईं। उन्होंने कहा, ‘‘न सिर्फ सीजर की पत्नी बल्कि सीजर को भी संदेह के परे होना चाहिए।’’ लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर लिखा, ‘मैं जोरदार तरीके से महसूस करती हूं कि न्यायमूर्ति एके गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।’
सुषमा की मांग का बचाव करते हुए भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यौन उत्पीड़न के आरोपों में काफी सवाल उठाए गए हैं। यह न्यायपालिका की विश्वसनीयता के लिए चुनौती है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही मांग की है कि गांगुली पद छोड़ें। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष कल्याण बंदोपाध्याय ने कहा कि यह पहला मौका है जब उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। फिलहाल वह डब्ल्यूबीएचआरसी अध्यक्ष के पद पर हैं। उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने भी कहा कि गांगुली को इस्तीफा दे देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दरअसल, जब उनका नाम सार्वजनिक हो गया तो उन्हें अपने मौजूदा पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने कहा कि जो आरोप लगा है वह संज्ञेय अपराध है और पुलिस को इसकी जांच उसी तरीके से करनी चाहिए जैसे इसी तरह के आरोप का सामना करने वाले किसी साधारण व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की जांच की जाती है। सेवानिवृत्त महिला आईएएस अधिकारी प्रोमिला शंकर और दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय के पूर्व डीन एसएन सिंह ने प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम को पत्र लिखा है जिसमें दिल्ली पुलिस से गांगुली के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करके जांच करने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति गांगुली का इस्तीफा मांगते हुए शंकर और सिंह ने कहा कि उनपर लगे गंभीर आरोपों के मद्देनजर उन्हें डब्ल्यूबीएचआरसी का अध्यक्ष बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। (एजेंसी)

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