सड़क हादसों के 40 प्रतिशत पीड़ित युवा होते हैं : अध्ययन

देश में होने वाले सड़क हादसों में 40 प्रतिशत पीड़ित युवा होते हैं जिनकी उम्र 24 साल से कम होती है। सेन्टर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेन्ट (सीएसई) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा मोटर वाहन चालकों के अलावा है। सड़क दुर्घटना जोखिम के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में भी कहा गया है कि सड़क हादसों में शिकार होने वाले 53 प्रतिशत लोगों की उम्र 25-65 आयु वर्ग के बीच की होती है।

नई दिल्ली : देश में होने वाले सड़क हादसों में 40 प्रतिशत पीड़ित युवा होते हैं जिनकी उम्र 24 साल से कम होती है। सेन्टर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेन्ट (सीएसई) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा मोटर वाहन चालकों के अलावा है। सड़क दुर्घटना जोखिम के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में भी कहा गया है कि सड़क हादसों में शिकार होने वाले 53 प्रतिशत लोगों की उम्र 25-65 आयु वर्ग के बीच की होती है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2012 में सड़क हादसों में दुर्घटना के शिकार हुये 5,879 बच्चों की उम्र 0-14 साल के बीच की थी जबकि 15-24 आयु वर्ग के 26,709 व्यक्ति हादसे के शिकार हुये थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व भर में होने वाले सड़क हादसों के कारण मरने वाले लोगों में से अकेले भारत के 11 प्रतिशत व्यक्ति शामिल हैं।

पिछले दो दशकों में दुर्घटनाओं और घायलों की कुल संख्या में मामूली कमी हुयी है, जबकि मृतकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2003 में हुए कुल सड़क हादसों में 18 प्रतिशत हादसे घातक थे जो 2012 (अधिकारिक आंकड़ा) में बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया। सड़कों पर तेज रफ्तार में वाहनों के चलने के कारण अब और अधिक लोगों की मौत हो रही है जबकि इसी सड़कों पर कम रफ्तार से चलने वाले लोग सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचे हैं।

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ट्रोमा सेन्टर के मुताबिक हर साल दुर्घटना से जुड़े लगभग 60,000 मामले होते हैं, जिसमें हरेक साल 10 फीसदी का इजाफा दर्ज किया जाता है। इस ट्रामा सेन्टर में केवल 15,000 मामले आते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 5,000 मामलों में बड़े ऑपरेशनों की जरूरत होती है।

रिपोर्ट में बताया गया है, ‘घायलों के कुल मामलों में, 40 प्रतिशत सिर के चोट से जुड़े मामले जबकि हड्डी और धड़ से जुडा हुआ 30 प्रतिशत मामला होता है। सिर में लगी चोटों के मामले में ठीक होने का केवल 40 प्रतिशत संभावना रहती है।’ रिपोर्ट जारी करने वाले सीआईई अधिकारी के मुताबिक, केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के रिकार्ड के अनुसार भारी संख्या में वाहनों वाले शहर जैसे मुंबई, चेन्नई, दिल्ली और बेंगलुरू में घायलों और मरने वालों की संख्या सबसे अधिक है।

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