नई दिल्ली: अभी तक मशीनी कामकाज करने वाले रोबोटों के बारे में ही सुना जाता था, लेकिन अब ऐसा रोबोट भी आ गया है, जो न केवल चलेगा, बातें करेगा, गाना गाएगा, किताब और समाचार पत्र पढ़ेगा, मौसम का हाल बताएगा, इंटरनेट शापिंग करेगा, बल्कि इंसानों की भावनाओं को भी पढ़ सकेगा।
ये है चार्ल्स या चार्ली, जो दुनिया का सर्वाधिक आधुनिक रोबोट है और जिसे इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टैक्नोलोजी के पूर्व छात्र और ऑस्ट्रेलिया के ला त्रोब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजीव खोसला ने तैयार किया है। चार्ली उपर बतायी गयी सारी विशेषताओं से लैस है।
मात्र 20 सेंटीमीटर का चार्ली पार्टनर पर्सनल रोबोट है, जिसे ऐसे बच्चों और बुजुर्गज्ञें की मदद के लिए डिजाइन किया गया है जो डिमेंशिया, आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, दिमाग में चोट तथा ऐसी अन्य बीमारियों के शिकार हैं।
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग द्वारा आयोजित एक समारोह में खोसला ने इस रोबोट का प्रदर्शन करते हुए बताया, डिमेंशिया से पीड़ित बच्चे अक्सर बाथरूम में हाथ धोना भूल जाते हैं। यह रोबोट लगातार बच्चों पर नजर रखेगा और उसे याद दिलाएगा कि उसने हाथ नहीं धोए हैं और उसे हाथ धोने की जरूरत है।
चार्ली तथा अन्य रोबोट मेटिल्डा, जेक, लूसी और सोफी के साथ ऑस्ट्रेलिया में 20 से अधिक परीक्षण किए गए हैं। रोबोट के साथ परीक्षण किए तरीके से किया जाता है, जिनमें उन्हें बोलकर निर्देश देना, छूकर समझाना और चेहरे के भावों से समझाना भी शामिल है। ये रोबोट पता लगाते हैं कि कोई व्यक्ति किस प्रकार महसूस करता है और उसके अनुसार वे अपनी सेवाओं को आकार देते हैं।
खोसला ने बताया, ये रोबोट बहुभाषी हैं और इन्हें अपने इंसानी सहयोगी की भाषा, संस्कृति तथा जीवनशैली के अनुरूप तैयार किया जा सकता है। भावनात्मक रूप से सक्रिय रोबोट तैयार करने वाले आईआईटी के पूर्व छात्र खोसला कहते हैं कि उनके हिसाब से चार्ली जैसे रोबोट भाषा, संस्कृति और जीवनशैली की बाधाओं को पार कर सकते हैं। (एजेंसी)